आज मै आपको Short Motivational Stories With Moral -प्रेणनादायक कहानियाँ हिंदी मै बताउंगी क्यूंकि आज कल हर फील्ड मै Competition बहुत बढ़ गया है हर कोई व्यक्ति उदास और परेशान रहता है और अगर उसे बार बार असफलता मिलें तो वह Demotivate होने लगता है तो ,आपकी इसी Problems का Solution मै लेकर आई हूँ Moral Stories जो ना केवल आपको Motivate करेंगी बल्कि आपको अन्दर से Confident भी बनायेंगे
दोस्तों आज मै आपको कुछ ऐसी प्रेणनादायक( Motivational Moral Stories) बताने जा रही हूँ जो आपको जिन्दगी को समझने मै मदद करेंगी और आपको अपने जीवन के लिए सीख भी देंगे |
1.एक पिता की प्यारी बात
एक बेटी ने अपने पिता से पूछा- “पापा आपने देखा है, जब माँ मुझे अपनी गोद मे उठाती है तो वो मुझे अपनी कमर के पास रखती है, लेकिन जब आप मुझे उठाते हो तो अपने कंधे पर बैठा लेते हो। ऐसा क्यों”?
उसके पिता ने बड़ा ही अच्छा जवाब दिया, “बेटी माँ चाहती है कि उसकी सन्तान की नज़र वहाँ तक जाए जहाँ तक वो स्वयं देख सकती है, जबकि एक पिता चाहता है कि उसकी संतान वहां तक देख सके, जहाँ तक स्वयं उसकी खुद की नज़र नही पहुँच सकती।”
शिक्षा(Moral):एक पिता हमेशा चाहता है उसकी संतान life उससे भी ज्यादा आगे बड़े और उससे भी ज्यादा नाम कमाए। चाहे माँ हो या पिता, दोनों ही अपनी औलाद को जिंदगी में सफल देखना चाहते है
2.दुनिया सिर्फ तमाशा देखती है
एक बार घर में आग लग गयी और सभी लोग उस आग को बुझाने में लगे। उस घर में एक चिड़िया का घोंसला भी था तो वो चिड़ियाँ भी अपनी चोंच में पानी भरती रही और आग में डालती रही। वो बार बार जाकर पानी लाती और आग में डालती। एक कौआ ये देख रहा था और वो चिड़िया से बोला, “अरे पगली तू कितनी भी मेहनत कर ले तेरे बुझाने से ये आग नही बुझेगी।” तो उस पर चिड़ियाँ बोली, “मुझे पता है, मेरे बुझाने से आग नही बुझेगी लेकिन जब भी इस आग का जिक्र होगा, तो मेरी गिनती बुझाने वालों में होगी और तेरी गिनती तमाशा देखने वालों में।”
हमारी जिंदगी में भी ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो हमारी मेहनत नहीं बल्कि हमारे हारने का तमाशा देखना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे लोगों को पहचानना ज्यादा मुश्किल नहीं है ये वही लोग होते हैं जो आपको बात बात पर ताना मारते हैं। ये लोग आपको हमेशा Discourage करते रहते हैं|
शिक्षा(Moral): इसलिए ऐसे लोगों से खुद को हमेशा दूर रखना और याद रखें की आप अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं, बस खुद पर विश्वास जरूरी है।
3. नाम की अनूठी महत्ता
गुरु नानकदेवजी एक बार किसी तीर्थस्थल पर गए हुए थे। अनेक व्यक्ति उनके सत्संग के लिए वहाँ जुट गए । एक व्यक्ति ने हाथ जोड़कर प्रश्न किया, ‘बाबा, मुझ जैसे साधारण गृहस्थ के कल्याण का सरल उपाय बताएँ । ‘गुरुजी ने कहा, ‘ईश्वर को हरदम याद करनेवाला और सादा व सात्त्विक जीवन जीने वाला व्यक्ति सहज ही अपना कल्याण कर लेता है। तुम प्रेम व भक्ति से भगवान् के पवित्र नाम का सुमिरण करो, उस नाम रूपी परम तत्त्व से एकरूप हो जाओ, जीवन सार्थक होते देर नहीं लगेगी। ‘
गुरु नानकदेवजी ने आगे कहा, ‘भगवान् के नाम में बड़ी अनूठी शक्ति है। उसके नाम का जाप मनुष्य के समस्त पापों और दुःखों को धोने की क्षमता रखता है।
भगवान् का नाम हर तरह के विकारों और दुर्व्यसनों को दूर करके मानव को सद्गुणों से संपन्न करता है । ईश्वर के नाम जपने से व्यक्ति वासनामुक्त हो जाता है और पुनर्जन्म के चक्कर से छुटकारा पाकर अंततः मोक्ष को प्राप्त करता है।’
आत्म कल्याण का सरल उपाय बताते हुए गुरुजी ने कहा, ‘सत्य, सद्विचार, सदाचार, प्राणियों के प्रति दया भावना, ईश्वर की स्तुति और गुणगान से मानव अपना कल्याण कर सकता है ।
शिक्षा(Moral): इसलिए हर व्यक्ति को यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हे प्रभु, मुझे अपनी शरण में चाहे जिस भी अवस्था में रख, तेरी शरण के अतिरिक्त मेरा कोई और आश्रय नहीं है। जो व्यक्ति भगवान् के प्रति शरणागत होता है, वही कल्याण की अनुभूति करता है। ‘
4.अपना हुनर कभी नहीं भूलें
एक बार एक राजा था। उसके राज्य में सभी अच्छे से चल रहा था। उस राजा ने अपने सैनिकों को बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की थी। तलवारबाजी, खेलकूद और शासन कला ये गुण तो सभी राजाओं में होते ही है लेकिन इस राजा को इसके अलावा एक और भी शौक था। वह था कालीन बुनना।
ये गुण हर किसी राजाओं में नहीं मिलता। राजा के इस काम को बहुत पसंद किया जाता था। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा जाता था कि ये काम एक राजा के लायक का नहीं होता।
एक बार की बात है जब वह राजा अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार के लिए गया। वहां पर अचानक वह अपने सैनिकों से बिछड़ गया। राजा को अकेला देख वहां के डाकुओं ने उस पर हमला बोल दिया और उसे बंदी बना दिया। राजा के पास से कुछ नहीं मिलने के कारण डाकुओं ने राजा को मारने का निर्णय किया।
इस पर राजा को एक युक्ति सूझी “राजा ने डाकुओं से कहा कि यदि तुम मुझे कालीन बुनने का सामान ला दो तो मैं तुम्हे इस राज्य के राजा से सौ सोने के सिक्के दिलवाऊंगा।”
इस पर डाकू मान गये। राजा को कालीन बुनने का सामान दिया गया। राजा ने कालीन बुनना शुरू किया। जब ये कालीन पूरा बुन दिया तो इसे राजभवन में भेजा गया।
वहां पर रानी इस कालीन को देखकर राजा के काम को पहचान गई और उसमें लिखे राजा के सन्देश को पढ़ लिया। राजभवन में आये डाकुओं को पकड़ लिया गया और राजा को जंगल से छुड़वाया गया।
शिक्षा(Moral): राजा के अपने हाथों के इस हुनर ने राजा की जान बचा ली।
5.एक फ़कीर की सीख
एक फ़कीर नदी के किनारे बैठा था। एक व्यक्ति पास से गुजरा तो उसने पूछा बाबा क्या कर रहे हो?
फ़कीर ने कहा इंतज़ार कर रहा हूँ की पूरी नदी सूख जाए तो में इसे पार कर लूँ।
उस व्यक्ति ने कहा कैसी बात करते हो बाबा, “पूरा पानी सूखने के इंतज़ार मे तो तुम कभी नदी पार ही नही कर पाओगे..?”
तो उस फ़कीर ने कहा, “यही तो मै लोगो को समझाना चाहता हूँ की तुम लोग जो सदा यह कहते रहते हो की एक बार जीवन की सारी ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो जाये तो मैं खुश रहूं, मौज करूं, घूमूँ फिरू, सबसे मिलूँ, लोगों की सेवा करूँ, इसी तरह नदी का पानी कभी खत्म नही होगा और हमको नदी से ही पार जाने का रास्ता बनाना होगा |
एक ना एक दिन हमारा जीवन खत्म हो जायेगा पर ये जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होंगी। हमें अपने जीवन की इन्हीं जिम्मेदारियों को अपने साथ लेकर वो हर काम करना होगा जो हमे खुशियां दे।
शिक्षा(Moral): हमें अपनी जिम्मेदारियों को बोंझ नही समझना चाहियें अगर बोंझ समझेंगे तो कोई काम भी नहीं कर पाएंगे |अगर जीवन है तो जिमेदारियां भी होंगी तो हमें उन्हें खुशी खुशी निभाना चाहेयें ताकि वो बोंझ ना लगें |
6.पैरों का निशान
एक बार एक केकड़ा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चला जा रहा था और बीच बीच में पीछे मुड़कर वो अपने पैरों से बने निशान भी देखता जाता। वो थोड़ा आगे बढ़ता और फिर मुड़कर पैरों के निशान देखता और उनसे बनी design को देखकर खुश हो जाता…इतने में एक तेज लहर आयी और उसके पैरों के सब निशान मिट गये।
इस पर केकड़े को बड़ा गुस्सा आया, उसने लहर से बोला, “मैं तो तुझे अपना मित्र मानता था, पर तुमने ये क्या किया…मेरे बनाये सुंदर पैरों के निशानों को ही मिटा दिया…? कैसी दोस्त हो तुम।”
केकड़े की बात सुनकर लहर बोली, ” वो देखो पीछे से मछुआरे आ रहे हैं और वो पैरों के निशान देख कर ही केकड़ों को पकड़ रहे हैं…मेरे दोस्त, तुमको वो पकड़ ना लें, बस इसीलिए मैंने तुम्हारे पैरों के निशान मिटा दिए।”
शिक्षा( Moral): "सच यही है की कई बार हम सामने वाले की बातों को समझ नहीं पाते और अपनी सोच के अनुसार उसे गलत समझ लेते हैं, जबकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। अपने मन में किसी के लिए बुरा भला सोचने से बेहतर है कि बातों को सही से समझ कर निष्कर्ष निकालें।"
7.ज्ञान ,धन और विश्वास
यह कहानी तीन दोस्तों की है। ज्ञान, धन और विश्वास। तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे। तीनों में प्यार भी बहुत था। एक बार किसी वजह से तीनों को अलग होना पड़ा तो तीनों ने एक दूसरे से सवाल किया कि आज के बाद हम कहाँ मिलेंगे।
तो इस पर ज्ञान ने कहा – “मैं मंदिर, मस्जिद और किताबों में मिलूँगा”।
धन ने कहा- “मैं अमीरों के पास मिलूंगा”।
विश्वास चुप रहा और कुछ नहीं बोला, “जब दोनों दोस्तों ने उस से चुप रहने का कारण पूछा तो विश्वास ने रोते हुए कहा – “मैं एक बार चला गया तो फिर कभी नहीं मिल पाऊंगा।”
शिक्षा(Moral): ये छोटी सी कहानी हमे सिखाती है की ज्ञान और धन आप जब चाहे तब प्राप्त कर सकते हैं लेकिन विश्वास एक ऐसी चीज़ है जो एक बार टूट जाए तो फिर उसका वापस आना बहुत मुश्किल है।
8.कड़वा सच
Very short story
एक बार एक लड़के ने अपने दादा से पूछा- दादा जी आप लोग पहले कैसे रहते थे? “ना कोई Technology थी, ना ही computer था, ना ही अच्छी गाड़ियां थी और ना ही मोबाइल।”
पोते की बात सुनकर दादा जी ने बहुत सुंदर जवाब दिया- “बेटे हम वैसे ही रहते थे जैसे तुम लोग आजकल रहते हो “ना पूजा, ना पाठ, ना कोई दान, ना ही धर्म और ना ही किसी तरह की शर्म।”
दोस्तों बात कड़वी है मगर है सच।
9.हर व्यक्ति का महत्व
एक बार एक विद्यालय में परीक्षा चल रही थी। सभी बच्चे अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके आये थे। कक्षा का सबसे ज्यादा पढ़ने वाला और होशियार लड़का अपने पेपर की तैयारी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त था। उसको सभी प्रश्नों के उत्तर आते थे लेकिन जब उसने अंतिम प्रशन देखा तो वह चिन्तित हो गया।
सबसे अंतिम प्रशन में पूछा गया था कि “विद्यालय में ऐसा कौन व्यक्ति है जो हमेशा सबसे पहले आता है? वह जो भी है, उसका नाम बताइए।”
परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के ध्यान में एक महिला आ रही थी। वही महिला जो सबसे पहले स्कूल में आकर स्कूल की साफ सफाई करती। पतली, सावलें रंग की और लम्बे कद की उस महिला की उम्र करीब 50 वर्ष के आसपास थी।
ये चेहरा वहां परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के आगे घूम रहा था। लेकिन उस महिला का नाम कोई नहीं जानता था। इस सवाल के जवाब के रूप में कुछ बच्चों ने उसका रंग-रूप लिखा तो कुछ ने इस सवाल को ही छोड़ दिया।
परीक्षा समाप्त हुई और सभी बच्चों ने अपने अध्यापक से सवाल किया कि “इस महिला का हमारी पढ़ाई से क्या सम्बन्ध है।”
इस सवाल का अध्यापक जी ने बहुत ही सुन्दर जवाब दिया “ये सवाल हमने इसलिए पूछा था कि आपको यह अहसास हो जाये कि आपके आसपास ऐसे कई लोग हैं जो महत्वपूर्ण कामों में लगे हुए है और आप उन्हें जानते तक नहीं। इसका मतलब आप जागरूक नहीं है।”
शिक्षा(Moral): हमारे आसपास की हर चीज, व्यक्ति का विशेष महत्व होता है, वह खास होता है। किसी को भी नजरअंदाज नहीं करें
10.काश तू ऐसा ना होता
एक बार एक व्यक्ति ने कोयल से कहा – “तू काली ना होती तो कितनी अच्छी होती।”
गुलाब से कहा- “तुझमे कांटे ना होते तो कितना अच्छा होता।”
समुन्द्र से कहा- “तेरा पानी अगर नमकीन ना होता तो कितना अच्छा होता।”
वो व्यक्ति फिर मंदिर गया भगवान से बोला- “तू मूर्तियों में ना होकर असलियत में होता तो कितना होता।”
इतने में भगवान् बोले- “ऐ मेरे बनाये हुवे इंसान अगर तुझमे दूसरों को देखने की कमियां ना होती तो तू कितना अच्छा होता…”
शिक्षा(Moral): हमें कभी भी दूसरों का मजाक नहीं मानना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति मै कोई ना कोई खूबी जरुर होती है |
11.आप दूसरों को क्या दे रहे हैं
एक किसान हमेशा एक बेकरीवाले वाले को एक पौंड मक्खन बेचा करता था। वह किसान हमेशा सुबह के समय उस बेकरी वाले के पास आता और उसे एक पौंड मक्खन दे जाता। एक बार बेकरी वाले ने सोचा कि वह हमेशा उस पर भरोसा करके मक्खन ले लेता है। क्यों न आज मक्खन को तौला जाए?
इससे उसको पता चल सके कि उसे पूरा मक्खन मिल रहा है या नहीं?
जब बेकरीवाले ने मक्खन तौला तो मक्खन का वजन कुछ कम निकला। बेकरीवाले को गुस्सा आया और उसने उस किसान पर केस कर दिया। मामला अदालत तक पहुंच गया। उस किसान को जज के सामने पेश किया गया।
जज ने उस किसान से प्रश्न करना शुरू किया। जज ने पूछा कि वह उस मक्खन को तौलने के लिए बाट का प्रयोग करता है क्या?
किसान ने जवाब दिया “मेरे पास तौलने के लिए बाट तो नहीं है। फिर भी मक्खन तौल लेता हूं”
जज हैरानी से पूछता है “बिना बाट के तुम मक्खन कैसे तौलते हो?
इस जवाब किसान ने दिया कि “वह लम्बे समय से इस बेकरीवाले से एक पौंड ब्रेड का लोफ खरीदता है। हमेशा यह बेकरीवाला उसे देकर जाता है और मैं उतने ही वजन का उसे मक्खन तौल कर दे आता हूं।”
किसान का यह जवाब सुनकर बेकरीवाला हक्का बक्का रह गया।
इस बेकरीवाले की तरह ही हम भी अपने जीवन में वो ही पाते हैं, जो हम दूसरों के देते हैं। एक बार आप सोचिये आप दूसरों को क्या दे रहे हैं धोखा, दुःख, ईमानदारी, झूठ या फिर वफा।
12.मुझको कभी मत छोड़ना
Interview के दौरान एक बार एक महिला पत्रकार ने Bill Gates से पूछा की आप अरबों रुपयों के मालिक हैं। आपकी कामयाबी का राज क्या है?
Bill Gates इन उस बात का Answer देने की बजाये उस पत्रकार को एक Blank चेक दिया और कहा की तुम्हें जितने पैसे चाहिए इस चेक में भर लो।
उस महिला पत्रकार ने Surprise होकर कहा की ये आप क्या कह रहे हैं, मैने आपसे पैसे नहीं मांगे आप बस मेरे सवाल का जवाब दे और उसने वो चेक वापिस दे दिया।
Bill Gates उस महिला की तरफ देखकर बोले- मेरी कामयाबी का राज़ यही है, “मैं कभी मौके नहीं गंवाता जैसे आज आपने गवा दिया। अगर आप अपनी Philosophy को Side रखती तो आज दुनिया की सबसे अमीर पत्रकार बन गई होती।”
दोस्तों, ऐसे ही कई मौके हम भी अपनी life में ये कहकर छोड़ देते हैं की ये काम हमारे लायक नहीं है, या फिर मैं तो इस काम से ज्यादा का Talent रखता हूँ और यही मौके किसी को सफल बनाते हैं तो किसी को असफल इसलिए सही मौके को कभी भी ना छोड़ें।
13.इन्सान की पहचान वाणी से होती है
एक बार की बात है। एक राज्य का राजा था। उसे शिकार करने का बहुत ही शौक था। एक दिन वह राजा अपने सरदार और कुछ सैनिकों के साथ शिकार के लिए जंगल की ओर निकला। वह काफी दूर तक शिकार की खोज में चले गये।
ज्यादा दूर तक चलने से सभी को प्यास लगने लगी। सभी ने जंगल में पानी खोजना शुरू किया। फिर एक सैनिक को रास्ते पर एक कुआं दिखाई दिया। सैनिक ने राजा को यह बताया कि वहां पर एक कुआं है, जहां से हम अपनी प्यास को शांत कर सकते हैं।
राजा ने उस सैनिक को आदेश दिया कि वहां से उसके लिए पानी लाएं। सैनिक राजा के आदेश की पालना करते हुए उस कुएं के पास गया। वहां पर सैनिक ने देखा कि एक नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति रास्ते से जाने वाले लोगों की जलसेवा कर रहा है। सैनिक उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और बोला “ऐ पनिहारे एक लोटा पानी दे, हमें कहीं आगे जाना हैं।”
ये सुनकर उस वृद्ध व्यक्ति ने जवाब दिया “यहां से चला जा मुर्ख, मैं ऐसे लोगों को पानी नहीं पिलाता।” ये सुनकर सैनिक तुरंत वहां से चला गया। ये बात सैनिक ने राजा के सरदार को जाकर बताई। फिर सरदार उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और कहा “ऐ बूढ़े, हमें प्यास लगी है, एक लौटा पानी दे।” ये सुनकर उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति ने फिर पानी पिलाने से मना कर दिया।
राजा की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। राजा ने अपने सरदार से पानी के बारे में पूछा तो सरदार ने राजा से कहा कि उस कुएं पर एक नेत्रहीन व्यक्ति है जो पानी पीने से मना कर रहा है।
ये सुनकर राजा अपने सैनिक और सरदार के साथ उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास जाता है और उस वृद्ध व्यक्ति से कहता है “बाबा जी, हमें बहुत प्यास लगी है, गला सुखा जा रहा है। यदि आप थोड़ा पानी पिला देंगे तो आपकी बहुत बड़ी कृपा होगी।”
ये सुनकर उस नेत्रहीन व्यक्ति ने राजा से कहा “आप बैठिये, मैं आपको अभी जल पिलाता हूं।” फिर उस वृद्ध व्यक्ति ने सम्मानपूर्वक राजा को बैठाया और पानी पिलाया। पानी पीने के बाद राजा ने उस वृद्ध व्यक्ति से पूछा कि “आपको कैसे पता चला कि ये सैनिक व सरदार है और राजा मैं हूं”।
तो इसका जवाब उस वृद्ध व्यक्ति ने बहुत ही अच्छे शब्दों में दिया। वृद्ध व्यक्ति ने कहा “इन्सान की पहचान करने के लिए आंखों की जरूरत नहीं होती, उसकी वाणी ही उसकी असली पहचान होती है।”
ये सुनकर वहां पर मौजूद सरदार व उस सैनिक को शर्म महसूस हुई।
शिक्षा(Moral): इस से हमें ये प्रेरणा मिलती है कि जीवन में वाणी के से बढ़कर कुछ नहीं होता। यदि हमारे पास अच्छी वाणी और बोलने का तरीका होगा तो हम अपने जीवन में वो सब हासिल कर सकते हैं जो हम चाहते हैं।
तो दोस्तों मै आशा करतीं हूँ की ये Short Motivational Stories आपको और आपके जीवन को बेहतर बनाने मै आपकी मदद करेंगी |