दोस्तों ये Stories पंडित विष्णु शर्मा एक प्रसिद्ध संस्कृत के लेखक के द्वारा लिखी गई जिन्हें प्रसिद्ध संस्कृत नीतिपुस्तक पंचतन्त्र का रचनाकार माना जाता है। नीतिकथाओं में पंचतन्त्र का पहला स्थान है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र 80 वर्ष के करीब थी। वे दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर में रहते थे।
तो चलिए आज हम कुछ ज्ञान देने वाली कहानियाँ देखतें हैं जिसमे हर एक कहानी हमें कुछ ना कुछ सिखाएगी|
1.राजा और मूर्ख बंदर की कहानी -The Story of The King and the Foolish Monkey
बहुत पुरानी बात है, एक राजा के पास पालतु बंदर था। राजा उस बंदर पर बहुत विश्वास करता था, क्योंकि वह बंदर राजा का भक्त था। बंदर राजा की पूरे मन से सेवा करता था, लेकिन बंदर बिल्कुल मूर्ख था। उसे कोई भी काम ठीक से समझ नहीं आता था। राजा जब भी विश्राम करता बंदर उसकी सेवा के लिए हाजिर हो जाता था। उसके लिए हाथ पंखा चलाता था। एक दिन की बात है, जब राजा सो रहा था और बंदर उसके लिए पंखा झल रहा था, तभी एक मक्खी भिन भिनाते हुए राज के ऊपर आकर बैठ जाती है। बंदर उस मक्खी को पंखे से बार-बार भागने की कोशिश करता है, लेकिन मक्खी उड़कर कभी राजा की छाती पर, कभी सिर पर, तो कभी जांघ पर जाकर बैठ जाती थी।
मूर्ख बंदर काफी समय तक ऐसे ही मक्खी को भागने की कोशिश करता रहा, लेकिन मक्खी वहां से जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। यह देखकर बंदर को क्रोध आ जाता है और वह पंखा छोड़कर तलवार निकाल लेता है। जब मक्खी राजा के माथे पर बैठती है, तो बंदर तलवार लेकर राजा की छाती पर चढ़ जाता है। यह देख कर राजा काफी डर जाता है। फिर मक्खी माथे से उड़ जाती है, तो बंदर उसे मारने के लिए हवा में तलवार चलता है। इसके बाद मक्खी राजा के सिर पर जाकर बैठ जाती है, तो बंदर के तलवार से राजा के बाल कट जाते है और जब मूंछ पर बैठती है, तो मूंछ कट जाती है। यह देख राजा कमरे से जान बचाकर भागता है और बंदर तलवार लेकर उसके पीछे भागता है। इससे पूरे महल में उथल-पुथल मच जाती है।
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कहानी से सीख:
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी मूर्ख को ऐसा काम न सौंपे, जो बाद में आपके लिए ही खतरा उत्पन्न कर दें।
2.मूर्खों का बहुमत -The Majority Of Fools Story In Hindi
किसी जंगल में एक उल्लू रहता था। उसे दिन में कुछ दिखाई नहीं देता था, इसलिए वह दिनभर एक पेड़ पर अपने घोंसले में छिपकर रहता था। सिर्फ रात होने पर ही वह भोजन के लिए बाहर निकलता था। एक बार की बात के गर्मियों का मौसम था। दोपहर का समय था और बहुत तेज धूप थी। तभी कहीं से एक बंदर आया और वह उल्लू के घोसले वाले पेड़ पर आकर बैठ गया। गर्मी और धूप से परेशान बंदन ने कहा – “ऊफ, बहुत गर्मी है। आकाश में सूर्य भी आग के किसी बड़े गोले की तरह चमक रहा है।”
बंदर की बात को उल्लू ने भी सुन लिया। उससे रहा नहीं गया और बीच में ही बोल पड़ा – “यह तुम झूठ कह रहे हो? सूर्य नहीं, बल्कि अगर चंद्रमा के चमकने की बात कहते तो मैं इसे सच मान लेता।”
बंदर बोला – “भला दिन में चंद्रमा कैसे चमक सकता हैं। वह तो रात में चमकता है और यह दिन का समय है, तो दिन में सूर्य ही चमकेगा। यही कारण है कि सूर्य की तेज रोशानी की वजह से बहुत ज्यादा गर्मी हो रही है।”
उस बंदर ने उल्लू को अपनी बात समझाने का बहुत प्रयास किया कि दिन में सूरज ही चमकता है चंद्रमा नहीं, लेकिन उल्लू भी अपनी ही जिद पर अड़ा था। इसके बाद उल्लू ने कहा – “चलो, हम दोनों मेरे एक मित्र के पास चलते हैं, वही इसका निर्णय करेगा।”
बंदर और उल्लू दोनों एक दूसरे पेड़ पर गए। उस दूसरे पेड़ पर उल्लुओं का एक बड़ा झुंड रहता था। उल्लू ने सभी को बुलाया और उनसे कहा कि दिन में आकाश में सूर्य चमक रहा है या नहीं यह तुम सब मिलकर बताओ।
उल्लू की बात सुनकर उल्लुओं का पूरा झुंड हंसने लगा। वह बंदर की बात का मजाक उड़ाने लगें। उन्होनें कहा – “नहीं, तुम बेवकूफों जैसी बात कर रहे हो। इस समय आकार में तो चंद्रमा ही चमक रहा है और आकाश में सूर्य के चमकने की झूठी बात बोलकर हमारी बस्ती में झूठ का प्रचार मत करो।”
उल्लुओं के झुंड की बात सुनने के बाद भी बंदर अपनी ही बात पर अड़ा हुआ था। जिस देखर सभी उल्लू गुस्सा हो गए और वे सारे के सारे बंदर को मारने के लिए उसपर झपट पढ़े। दिन का समय था और उल्लुओं को कम दिखाई दे रहा था इसी वजह से बंदर वहां से बचकर भाग निकलने में कामयाब हो गया और उसने अपनी जान बचाई।
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कहानी से सीख:
पंचतंत्र की यह कहानी हमें सीख देती है कि मूर्ख मनुष्य कभी भी विद्वानों की बात को सच नहीं मानता है। ऐसे मूर्ख लोग अपने बहुमत से सत्य को भी असत्य साबित कर सकते हैं।
3.चालाक लोमड़ी -Clever Fox Story In Hindi
सालों पहले एक जंगल में गधा, लोमड़ी और शेर के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। तीनों ने एक दिन बैठकर साथ में शिकार करने के बारे में सोचा। कुछ देर बाद सबने मिलकर तय किया कि शिकार करने के बाद उसपर तीनों का बराबर हक होगा। ये फैसला लेने के बाद तीनों दोस्त शिकार के लिए जानवर की तलाश में जंगल की ओर निकल पड़े।
कुछ ही दूरी पर उन तीनों को जंगल में हिरण दिखा। एकदम तीनों ने हिरण पर झपट्टा मारने की कोशिश की। उसे देखते ही वो तेजी से दौड़ने लगा। दौड़ते-दौड़ते थककर हिरण कुछ देर के लिए रुक गया। तभी मौका देखकर शेर ने हिरण का शिकार कर दिया।
गधा, लोमड़ी और शेर तीनों काफी खुश हो गए। मरे हुए हिरण के तीन हिस्से करने के लिए शेर ने अपने दोस्त गधे को कहा। जैसा पहले तय हुआ था उसी हिसाब से गधे ने शिकार को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया। ये देखकर शेर को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। वो गुस्से में जोर-जोर से दहाड़े मारने लगा। दहाड़ते-दहाड़ते शेर ने गधे पर हमला करके उसे अपने दांतों और पंजों की मदद से दो हिस्से में बांट दिया।
लोमड़ी ये सब होते हुए देख रही थी। तभी शेर ने एकदम से लोमड़ी को कहा, “चलो दोस्त अब तुम इस शिकार का अपना हिस्सा ले लो। लोमड़ी चालाक और समझदार दोनों ही थी। उसने बड़ी ही अकलमंदी के साथ हिरण के शिकार का तीन चौथाई हिस्सा शेर को दे दिया और खुद के लिए एक चौथाई हिस्सा ही बचाया।
इस तरह हुए शिकार के हिस्से से शेर काफी खुश हो गया। उसने हंसते हुए लोमड़ी से कहा, ‘अरे वाह! तुमने एकदम मेरे मन का काम किया है। तुम्हारा दिमाग काफी तेज है।’ इतना कहते ही शेर ने लोमड़ी से पूछा, ‘तुम इतनी समझदार कैसे हो? तुम्हें कैसे पता चला कि मैं क्या चाहता हूं? तुमने इतनाअच्छे से शिकार का हिस्सा लगाना कहा से सीखा है?’
शेर के सवालों का जवाब देते हुए लोमड़ी बोली, ‘आप जंगल के राजा हैं और आपको कैसे हिस्सा लगाना है, ये समझना मुश्किल नहीं है। साथ ही मैंने उस गधे की हालत भी देख ली थी। उसके साथ जो कुछ भी हुआ उससे सीख लेते हुए मैंने ऐसी समझदारी दिखाई है।’
जवाब सुनकर शेर काफी खुश हुआ। उसने कहा कि तुम सच में बुद्धिमान हो।
कहानी से सीख:
हम सभी को अपनी ही नहीं, बल्कि दूसरों की गलतियों से भी नई बातों को सीखना चाहिए। इससे हम वही गलती करने से और उसके नकारात्मक परिणामों से बच सकते हैं।
4.ब्राह्मण का सपना - Brahmin Dream Story In Hindi
एक वक्त की बात है, किसी शहर में एक कंजूस ब्राह्मण रहता था। एक दिन उसे भिक्षा में जो सत्तू मिला, उसमें से थोड़ा खाकर बाकी का उसने एक मटके में भरकर रख दिया। फिर उसने उस मटके को खूंटी से टांग दिया और पास में ही खाट डालकर सो गया। सोते-सोते वो सपनों की अनोखी दुनिया में खो गया और विचित्र कल्पनाएं करने लगा।
वो सोचने लगा कि जब शहर में अकाल पड़ेगा, तो सत्तू का दाम 100 रुपये हो जाएगा। मैं सत्तू बेचकर बकरियां खरीद लूंगा। बाद में इन बकरियों को बेचकर गाय खरीदूंगा। इसके बाद भैंस और घोड़े भी खरीद लूंगा।
कंजूस ब्राह्मण कल्पनाओं की विचित्र दुनिया में पूरी तरह खो चुका था। उसने सोचा कि घोड़ों को अच्छी कीमत पर बेचकर खूब सारा सोना खरीद लूंगा। फिर सोने को अच्छे दाम पर बेचकर बड़ा-सा घर बनाऊंगा। मेरी संपत्ति को देखकर कोई भी अपनी बेटी की शादी मुझसे करा देगा। शादी के बाद मेरा जो बच्चा होगा, मैं उसका नाम मंगल रखूंगा।
एक वक्त की बात है, किसी शहर में एक कंजूस ब्राह्मण रहता था। एक दिन उसे भिक्षा में जो सत्तू मिला, उसमें से थोड़ा खाकर बाकी का उसने एक मटके में भरकर रख दिया। फिर उसने उस मटके को खूंटी से टांग दिया और पास में ही खाट डालकर सो गया। सोते-सोते वो सपनों की अनोखी दुनिया में खो गया और विचित्र कल्पनाएं करने लगा।
वो सोचने लगा कि जब शहर में अकाल पड़ेगा, तो सत्तू का दाम 100 रुपये हो जाएगा। मैं सत्तू बेचकर बकरियां खरीद लूंगा। बाद में इन बकरियों को बेचकर गाय खरीदूंगा। इसके बाद भैंस और घोड़े भी खरीद लूंगा।
कंजूस ब्राह्मण कल्पनाओं की विचित्र दुनिया में पूरी तरह खो चुका था। उसने सोचा कि घोड़ों को अच्छी कीमत पर बेचकर खूब सारा सोना खरीद लूंगा। फिर सोने को अच्छे दाम पर बेचकर बड़ा-सा घर बनाऊंगा। मेरी संपत्ति को देखकर कोई भी अपनी बेटी की शादी मुझसे करा देगा। शादी के बाद मेरा जो बच्चा होगा, मैं उसका नाम मंगल रखूंगा।
फिर जब मेरा बच्चा अपने पैरों पर चलने लगेगा, तो मैं दूर से ही उसे खेलते हुए देखकर आनंद लूंगा। जब बच्चा मुझे परेशान करने लगेगा, तो मैं गुस्से में पत्नी को बोलूंगा और कहूंगा कि तुम बच्चे को ठीक से संभाल भी नहीं सकती हो। अगर वह घर के काम में व्यस्त होगी और मेरी बात का पालन नहीं करेगी, तब मैं गुस्से में उठकर उसके पास जाऊंगा और उसे पैर से ठोकर मारूंगा। ये सारी बातें सोचते-सोचते ब्राह्मण का पैर ऊपर उठता है और सत्तू से भरे मटके में ठोकर मार देता है, जिससे उसका मटका टूट जाता है।
इस तरह सत्तू से भरे मटके के साथ ही कंजूस ब्राह्मण का सपना भी चकनाचूर हो जाता है।
कहानी से सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी काम को करते वक्त मन में लोभ नहीं आना चाहिए। लोभ का फल कभी भी मीठा नहीं होता है। साथ ही सिर्फ सपने देखने से सफलता नहीं मिलती, इसके लिए मेहनत करना भी जरूरी है।
5. बंदर और खरगोश - Monkey and Rabbit Story In Hindi
एक बड़े-से जंगल में एक बंदर और एक खरगोश बड़े प्यार से रहते थे। दोनों में इतनी अच्छी दोस्ती थी कि हमेशा एक साथ खेलते और अपना सुख-दुख बांटते थे।
एक दिन खेलते-खेलते बंदर ने कहा, “मित्र खरगोश, आज कोई नया खेल खेलते हैं।” खरगोश ने पूछा, “बताओ कौन-सा खेल खेलने का मन है तुम्हारा?”
बंदर बोला, “आज हम दोनों को आँख-मिचोली खेलनी चाहिए।” खरगोश हंसते हुए कहने लगा, “ठीक है, खेल लेते है। बड़ा मज़ा आएगा।” दोनों यह खेल शुरू करने ही वाले थे कि तभी उन्होंने देखा कि जंगल के सारे पशु-पक्षी इधर-उधर भाग रहे हैं।
बंंदर ने फ़ुर्ती दिखाते हुए पास से भाग रही लोमड़ी से पूछा, “अरे, ऐसा क्या हो गया है? क्यों सब भाग रहे हैं?” लोमड़ी ने जवाब दिया, “एक शिकारी जंगल में आया है, इसलिए हम सब अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं। तुम भी जल्दी भागो वरना वह तुम्हें पकड़ लेगा।” इतना बोलकर लोमड़ी तेज़ी से वहाँ से भाग गई।
शिकारी की बात सुनते ही बंदर और खरगोश भी डर कर भागने लगे। भागते-भागते दोनों उस जंगल से काफ़ी दूर निकल आए। तभी बंदर ने कहा, “मित्र खरगोश, सुबह से हम भाग रहे हैं। अब शाम हो चुकी है। चलो, थोड़ा आराम कर लेते हैं। मैं थक गया हूँ।”
खरगोश बोला, “हाँ, थकान ही नहीं, प्यास भी बहुत लगी है। थोड़ा पानी पी लेते हैं। फिर आराम करेंगे।”
बंदर ने कहा, “प्यास तो मुझे भी लगी है। चलो, पानी ढूंढते हैं।”
दोनों साथ में पानी ढूंढने के लिए निकले। कुछ ही देर में उन्हें पानी का एक मटका मिला। उसमें बहुत कम पानी था। अब खरगोश और बंदर दोनों के मन में हुआ कि अगर इस पानी को मैं पी लूंगा, तो मेरा दोस्त प्यासा ही रह जाएगा।
अब खरगोश कहने लगा, तुम पानी पी लो। मुझे ज़्यादा प्यास नहीं लगी है। तुमने उछल-कूद बहुत की है, इसलिए तुम्हें ज़्यादा प्यास लगी होगी।
फिर बंदर बोला, “मित्र, मुझे प्यास नहीं लगी है। तुम पानी पी लो। मुझे पता है, तुमको बहुत प्यास लगी है।”
दोनों इसी तरह बार-बार एक दूसरे को पानी पीने के लिए कह रहे थे। पास से ही गुज़र रहा हाथी थोड़ी देर के लिए रुका और उनकी बातें सुनने लगा।
एक बड़े-से जंगल में एक बंदर और एक खरगोश बड़े प्यार से रहते थे। दोनों में इतनी अच्छी दोस्ती थी कि हमेशा एक साथ खेलते और अपना सुख-दुख बांटते थे।
एक दिन खेलते-खेलते बंदर ने कहा, “मित्र खरगोश, आज कोई नया खेल खेलते हैं।” खरगोश ने पूछा, “बताओ कौन-सा खेल खेलने का मन है तुम्हारा?”
बंदर बोला, “आज हम दोनों को आँख-मिचोली खेलनी चाहिए।” खरगोश हंसते हुए कहने लगा, “ठीक है, खेल लेते है। बड़ा मज़ा आएगा।” दोनों यह खेल शुरू करने ही वाले थे कि तभी उन्होंने देखा कि जंगल के सारे पशु-पक्षी इधर-उधर भाग रहे हैं।
बंंदर ने फ़ुर्ती दिखाते हुए पास से भाग रही लोमड़ी से पूछा, “अरे, ऐसा क्या हो गया है? क्यों सब भाग रहे हैं?” लोमड़ी ने जवाब दिया, “एक शिकारी जंगल में आया है, इसलिए हम सब अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं। तुम भी जल्दी भागो वरना वह तुम्हें पकड़ लेगा।” इतना बोलकर लोमड़ी तेज़ी से वहाँ से भाग गई।
शिकारी की बात सुनते ही बंदर और खरगोश भी डर कर भागने लगे। भागते-भागते दोनों उस जंगल से काफ़ी दूर निकल आए। तभी बंदर ने कहा, “मित्र खरगोश, सुबह से हम भाग रहे हैं। अब शाम हो चुकी है। चलो, थोड़ा आराम कर लेते हैं। मैं थक गया हूँ।”
खरगोश बोला, “हाँ, थकान ही नहीं, प्यास भी बहुत लगी है। थोड़ा पानी पी लेते हैं। फिर आराम करेंगे।”
बंदर ने कहा, “प्यास तो मुझे भी लगी है। चलो, पानी ढूंढते हैं।”
दोनों साथ में पानी ढूंढने के लिए निकले। कुछ ही देर में उन्हें पानी का एक मटका मिला। उसमें बहुत कम पानी था। अब खरगोश और बंदर दोनों के मन में हुआ कि अगर इस पानी को मैं पी लूंगा, तो मेरा दोस्त प्यासा ही रह जाएगा।
अब खरगोश कहने लगा, तुम पानी पी लो। मुझे ज़्यादा प्यास नहीं लगी है। तुमने उछल-कूद बहुत की है, इसलिए तुम्हें ज़्यादा प्यास लगी होगी।
फिर बंदर बोला, “मित्र, मुझे प्यास नहीं लगी है। तुम पानी पी लो। मुझे पता है, तुमको बहुत प्यास लगी है।”
दोनों इसी तरह बार-बार एक दूसरे को पानी पीने के लिए कह रहे थे। पास से ही गुज़र रहा हाथी थोड़ी देर के लिए रुका और उनकी बातें सुनने लगा।
कुछ देर बाद हंसते हुए हाथी ने पूछा, “तुम दोनों पानी क्यों नहीं पी रहे हो?”
खरगोश ने कहा, “देखो न हाथी भाई, मेरे दोस्त को प्यास लगी है, लेकिन वो पानी नहीं पी रहा है।”
बंदर बोला, “नहीं-नहीं भाई, खरगोश झूठ बोल रहा है। मुझे प्यास नहीं लगी है। इसको प्यास लगी है, लेकिन यह मुझे पानी पिलाने की ज़िद कर रहा है।”
हाथी यह दृश्य देखकर बोलने लगा, “तुम दोनों की दोस्ती बहुत गहरी है। हर किसी के लिए यह एक मिसाल है। तुम दोनों ही इस पानी को क्यों नहीं पी लेते हो। इस पानी को आधा-आधा करके तुम दोनों पी सकते हो।”
खरगोश और बंदर दोनों को हाथी का सुझाव अच्छा लगा। उन्होंने आधा-आधा करके पानी पी लिया और फिर थकान मिटाने के लिए आराम करने लगे।
कहानी से सीख:
सच्चे दोस्त हमेशा एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं। सच्ची दोस्ती में स्वार्थ की कोई जगह नहीं होती।
6.ब्राह्मण, चोर और दानव - Brahmins, Thieves and Demons Story In Hindi
एक गांव में द्रोण नाम का ब्राह्मण रहता था। वह बहुत गरीब था। न उसके पास पहनने के लिए अच्छे कपड़े थे और न ही कुछ खाने को था। ब्राह्मण जैसे-तैसे भिक्षा मांगकर अपना गुजारा कर रहा था। उसकी गरीबी को देखकर एक यजमान को उस पर दया आ गई। उसने द्रोण को बैलों का एक जोड़ा दान में दे दिया।
बैलों को गौ धन मानकर ब्राह्मण द्रोण उनकी सेवा पूरी लगन के साथ करने लगा। उसे बैलों से इतना प्रेम था कि वो खुद कम खाता था, लेकिन बैलों को भरपेट खिलाता था। ब्राह्मण की सेवा पाने के बाद दोनों बैल तंदुरुस्त हो गए। एक दिन हटेकट्टे बैलों पर चोर की नजर पड़ गई। बैलों को देखते ही चोर ने मन-ही-मन बैलों को चुराने की योजना बना ली।
एक गांव में द्रोण नाम का ब्राह्मण रहता था। वह बहुत गरीब था। न उसके पास पहनने के लिए अच्छे कपड़े थे और न ही कुछ खाने को था। ब्राह्मण जैसे-तैसे भिक्षा मांगकर अपना गुजारा कर रहा था। उसकी गरीबी को देखकर एक यजमान को उस पर दया आ गई। उसने द्रोण को बैलों का एक जोड़ा दान में दे दिया।
बैलों को गौधन मानकर ब्राह्मण द्रोण उनकी सेवा पूरी लगन के साथ करने लगा। उसे बैलों से इतना प्रेम था कि वो खुद कम खाता था, लेकिन बैलों को भरपेट खिलाता था। ब्राह्मण की सेवा पाने के बाद दोनों बैल तंदुरुस्त हो गए। एक दिन हटेकट्टे बैलों पर चोर की नजर पड़ गई। बैलों को देखते ही चोर ने मन-ही-मन बैलों को चुराने की योजना बना ली।
योजना बनाने के बाद रात होते ही चोर ब्राह्मण के घर बैल चुराने के इरादे निकल गया। कुछ दूर चलते ही चोर का सामना एक भयानक राक्षस से हुआ। राक्षस ने चोर से पूछा, “तुम इतनी रात को कहां जा रहे हो?” चोर ने कहा, “मैं ब्राहमण के बैल चोरी करने जा रहा हूं।” चोर की बात सुनकर राक्षस बोला, “चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं। मैं कई दिनों से भूखा हूं। मैं उस ब्राह्मण को खाकर अपनी भूख शांत करूंगा और तुम उसके बैल ले जाना।”
चोर के मन में हुआ कि रास्ते के लिए एक साथी भी हो जाएगा, तो इसे साथ ले जाने में कोई बुराई नहीं है। यह सोचकर चोर अपने साथ राक्षस को साथ लेकर ब्राह्मण के घर पहुंचा।
ब्राह्मण के घर पहुंचकर राक्षस बोला, “पहले मैं ब्राह्मण को खा लेता हूं, उसके बाद तुम बैल चुरा लेना।” चोर ने कहा, “नहीं, पहले मैं बैल चुराउंगा उसके बाद तुम ब्राह्मण को खाना। अगर तुम्हारे आक्रमण से ब्राह्मण जाग गया, तो मैं बैल चुरा नहीं पाऊंगा।” फिर राक्षस बोला, “जब तुम बैल खोलोगे, तो उसकी आवाज से भी ब्राह्मण जागकर अपनी रक्षा कर सकता है। मैं इस चक्कर में भूखा रह जाऊंगा।”
राक्षस और चोर दोनों इसी तरह बहस करते रहे। एक दूसरे कि बात मानने को उनमें से कोई तैयार नहीं था। उसी बीच राक्षस और चोर की आवाज सुनकर ब्राह्मण जाग गया। ब्राह्मण को जागा देखकर जल्दी से चोर बोला, “हे! ब्राह्मण देखो यह राक्षस आपको खाने आया है, लेकिन मैंने इससे आपको बचा लिया। इसने कई बार आपको खाने की कोशिश भी की पर मैंने ऐसा होने नहीं दिया।”
चोर की बात सुनकर राक्षस ने भी तुरंत कहा, “नहीं ब्राह्मण, मैं आपको खाने नहीं, बल्कि आपके बैलों की रक्षा करने के लिए यहां आया हूं। यह चोर आपके बैल चुराने आया था।” दोनों की बात सुनकर ब्राह्मण को शक हुआ। खतरे को भांपते हुए ब्राह्मण ने फटाफट डंडा उठाया और दोनों को भगा दिया।
कहानी से सीख:
हमें हमेशा परिस्थिति के अनुसार काम करना चाहिए, जैसे इस कहानी में ब्राह्मण ने किया। उसे चोर व राक्षस की बात सुनने के बाद अपनी आत्मरक्षा के लिए डंडा उठा लिया, जो उस परिस्थिति के लिए बिल्कुल सही था।
7.धोबी का गधा की कहानी Washer man's Donkey Story In Hindi
किसी एक गांव में एक धोबी अपने गधे के साथ रहता था। वह रोज सुबह अपने गधे के साथ लोगों के घरों से गंदे कपड़े लाता और उन्हें धोकर वापस दे आता। यही उसका दिनभर का काम था और इसी से उसकी रोजी-रोटी चलती थी।
गधा कई सालों से धोबी के साथ काम कर रहा था और समय के साथ-साथ अब वह बूढ़ा हो गया था। बढ़ती उम्र ने उसे कमजोर बना दिया था, जिस वजह से वह ज्यादा कपड़ों का वजन नहीं उठा पाता था।
एक दोपहर, धोबी अपने गधे के साथ कपड़े धोने धोबी घाट जा रहा था। धूप तेज थी और गर्मी की वजह से दोनों की हालत खराब हो रही थी। गर्मी के साथ-साथ कपड़ों के अधिक वजन के कारण गधे को चलने में परेशानी हो रही थी। वो दोनों घाट की तरफ जा ही रहे थे कि अचानक गधे का पैर लड़खड़ाया और वह एक गहरे गड्ढे में गिर गया।
अपने गधे को गड्ढे में गिरा देख धोबी घबरा गया और उसे बाहर निकालने के लिए जतन करने लगा। बूढ़ा और कमजोर होने के बावजूद, गधे ने गड्ढे से बाहर निकलने में अपनी सारी ताकत लगा दी, लेकिन गधा और धोबी दोनों नाकामयाब रहे।
धोबी को इतनी मेहनत करते देख कुछ गांव वाले उसकी मदद के लिए पहुंच गए, लेकिन कोई भी उसे गड्ढे से बाहर नहीं निकाल पाया।
तब गांव वालों ने धोबी से कहा कि गधा अब बूढ़ा हो गया है, इसलिए समझदारी इसी में है कि गड्ढे में मिट्टी डालकर उसे यहीं दफना दिया जाए। थोड़ा मना करने के बाद, धोबी भी इस बात के लिए राजी हो गया। गांव वालों ने फावड़े की मदद से गड्ढे में मिट्टी डालना शुरू कर दिया। जैसे ही गधे को समझ आया कि उसके साथ क्या हो रहा है, तो वह बहुत दुखी हुआ और उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे। गधा कुछ देर चिल्लाया, लेकिन कुछ देर बाद वह चुप हो गया।
अचानक धोबी ने देखा कि गधा एक विचित्र हरकत कर रहा है। जैसे ही गांव वाले उस पर मिट्टी डालते, वह अपने शरीर से मिट्टी को नीचे गड्ढे में गिरा देता और उस मिट्टी के ऊपर चढ़ जाता। ऐसा लगातार करते रहने से गड्ढे में मिट्टी भरती रही और गधा उस पर चढ़ते हुए ऊपर आ गया। अपने गधे की इस चतुराई को देखकर धोबी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और उसने गधे को गले से लगा लिया।
कहानी से सीख:
बच्चों, ‘धोबी का गधा’ कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी आप
8.कबूतर और मधुमक्खी की कहानी - Dove and the bee Story In Hindi
एक समय की बात है। एक जंगल में नदी किनारे एक पेड़ पर कबूतर रहता था। उसी जंगल में एक दिन कहीं से एक मधुमक्खी भी गुजर रही थी कि अचानक से वह एक नदी में जा गिरी। उसके पंख गीले हो गए। उसने बाहर निकलने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं निकल सकी। जब उसे लगा कि वह अब मर जाएगी, तो उसने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। तभी पास के पेड़ पर बैठे कबूतर की नजर उस पर पड़ गई। कबूतर ने उसकी मदद करने के लिए तुरंत पेड़ से उड़ान भर ली।
कबूतर ने मधुमक्खी को बचाने के लिए एक तरकीब सोची। कबूतर ने एक पत्ते को अपनी चोंच में पकड़ा और उसे नदी में गिरा दिया। वह पत्ता मिलते ही मधुमक्खी उस पर बैठ गई। थोड़ी ही देर में उसके पंख सूख चुके थे। अब वह उड़ने के लिए तैयार थी। उसने कबूतर को जान बचाने के लिए धन्यवाद बोला। उसके बाद मधुमक्खी वहां से उड़कर चली गई।
इस बात को कई दिन बीत चुके थे। एक दिन वही कबूतर गहरी नींद में सो रहा था और तभी एक लड़का उस पर गुलेल से निशाना लगा रहा था। कबूतर गहरी नींद में था, इसलिए वह इस बात से अंजान था, लेकिन उसी समय वहां से एक मधुमक्खी गुजर रही थी, जिसकी नजर उस लड़के पर पड़ गई। यह वही मधुमक्खी थी, जिसकी कबूतर ने जान बचाई थी। मधुमक्खी तुरंत लड़के की ओर उड़ गई और उसने जाकर सीधे लड़के के हाथ पर डंक मार दिया।
मधुमक्खी के काटते ही लड़का तेजी से चिल्ला पड़ा। उसके हाथ से गुलेल दूर जाकर गिरी। लड़के के चिल्लाने की आवाज सुनकर कबूतर की नींद खुल गई थी। वह मधुमक्खी के कारण सुरक्षित बच गया था। कबूतर सारा माजरा समझ गया था। उसने मधुमक्खी को जान बचाने के लिए धन्यवाद बोला और दोनों जंगल की ओर उड़ गए।
कहानी से सीख:
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें मुसीबत में फंसे व्यक्ति की मदद जरूर करनी चाहिए। इससे हमें भविष्य में इसके अच्छे परिणाम जरूर मिलते हैं|
9.सूर्य और वायु की कहानी - The Sun and the Wind Story In Hindi
एक बार की बात है, एक दिन सूर्य और हवा में अचानक विवाद होने लगा। दोनों इस बात पर बहस करने लगें की उन दोनों में सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है। वायु बड़ी ही घमंडी और जिद्दी स्वाभाव की थी। उसे अपनी शक्ति पर बड़ा ही गुरूर था। उसका मानना था कि वह अगर तेज गति से बहने लगे, तो बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ सकती है। उसमें मौजूद आर्द्रता नदियों और झीलों के पानी को भी जमा सकती है।
अपने इसी घमंड के चलते वायु ने सूर्य से बहस करते हुए कहा – “मैं तुमसे ज्यादा शक्तिशाली हूं। मैं चाहूं तो किसी को भी अपने झोंके से हिला सकती हूं।”
सूर्य ने हवा की बात मानने से इंकार कर दिया और कहा बड़े ही शांत तरीके से कहा – “देखो कभी भी अपने पर घमंड नहीं करना चाहिए।”
हवा यह सुनकर चिढ़ गई और खुद को ज्यादा शक्तिशाली बताती रही।
इस पर दोनों आपस में बहस कर ही रहे थे कि उन्हें तभी रास्ते में एक आदमी दिखाई दिया। उस आदमी ने कोट पहना हुआ था। उसे देखकर सूर्य के मन में एक योजना आई। उसने हवा से कहा – “जो भी इस आदमी को उसका कोट उतारने के लिए मजबूर कर देगा, उसे ही अधिक शक्तिशाली माना जाएगा।”
हवा ने बात मान ली और कहा – “ठीक है। सबसे पहले मैं कोशिश करूंगी। तब तक तुम बादलों में छिप जाओ।”
सूर्य बादलों के पीछे छिप गया। फिर हवा बहने लगी। वह धीमे-धीमे बहने लगी, लेकिन उस आदमी ने अपना कोट नहीं उतारा। फिर वह तेजी से बहने लगी। हवा तेज होने की वजह से उस आदमी को ठंड लगने लगी और उसने अपने कोट से शरीर को अच्छे से लपेट लिया।
बहुत देर तक ठंडी और तेज हवा बहती रही, लेकिन उस आदमी ने अपना कोट नहीं उतारा। अंत में हवा थककर शांत हो गई।
इसके बाद सूर्य की बारी आई। वह बादलों से बाहर निकला और हल्की धूप करके चमकने लगा।
हल्की धूप होते ही उस व्यक्ति को ठंड के तापमान से थोड़ी राहत मिली, तो उसने अपना कोट ढीला कर दिया। इसके बाद फिर सूर्य तेजी से चमकने लगा और तेज धूप निकल गई।
तेज धूप होते ही आदमी को गर्मी लगने लगी और उसने अपना कोट उतार दिया।
जब हवा ने यह देखा, तो वह खुद पर शर्मिंदा होने लगी और उसने सूर्य के सामने अपनी हार मान ली। इस तरह घमंडी वायु का अंहकार भी टूट गया।
कहानी से सीख:
खुद की योग्यता व ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि घमंड करने वालों की कभी जीत नहीं होती है।
10.संगीतमय गधा की कहानी - The Musical Donkey Story In Hindi
बहुत समय पहले की बात है, किसी गांव में एक धोबी रहा करता था। उसके पास एक गधा था, जिसका नाम मोती था। चूंकि, धोबी स्वाभाव से बहुत ही कंजूस था, इसलिए वह अपने गधे को जान बूझकर चारा पानी नहीं देता था और उसे चरने के लिए बाहर भेज दिया करता था। इस कारण गधा बहुत ही कमजोर हो गया था। जब एक दिन धोबी ने उसे घास चरने के लिए छोड़ा, तो वह चरते-चरते कहीं दूर जंगल में निकल गया। जंगल में उसकी मुलाकात एक गीदड़ से हुई।
गीदड़ ने पूछा, “गधे भाई तुम इतने कमजोर क्यों हो?” तो गधे ने जवाब दिया, “मुझसे दिनभर काम करवाया जाता है और मुझे कुछ खाने के लिए भी नहीं दिया जाता है। यही वजह है कि मुझे इधर-उधर भटक-भटक कर अपना पेट भरना पड़ता है। इस कारण मैं बहुत कमजोर हो गया हूं।” गधे की यह बात सुनकर गीदड़ कहता है, “मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूं, जिससे तुम बहुत ही स्वस्थ और शक्तिशाली हो जाओगे।”
गीदड़ कहता है, “यहां पास में ही एक बहुत बड़ा बाग है। उस बाग में हरी-भरी सब्जियां और फल लगे हुए हैं। मैंने उस बाग में जाने का एक खुफिया रास्ता बना रखा है, जिससे मैं रोज रात को जाकर बाग में हरी-भरी सब्जियां और फल खाता हूं। यही वजह है कि मैं एकदम तंदुरुस्त हूं।” गीदड़ की बात सुनते ही गधा उसके साथ हो लेता है। फिर गीदड़ और गधा दोनों ही साथ मिलकर बाग की ओर चल देते हैं।
बाग में पहुंच कर गधे की आंखे चमक उठती हैं। इतने सारे फल और सब्जियां देखकर गधा अपने आप को रोक नहीं पाता है और बिना देर किए वह अपनी भूख मिटाने के लिए रसीले फल और सब्जियों का आनंद लेने लगता है। गीदड़ और गधा जी भर के खाने के बाद उसी बाग में सो जाते हैं।
अगले दिन सूरज निकलने से पहले गीदड़ उठ जाता है और फौरन बाग से निकलने को कहता है। गधा बिना सवाल किए गीदड़ की बात मान लेता है और दोनों वहां से रवाना हो जाते हैं।
फिर वो दोनों रोज मिलते और इसी तरह बाग में जाकर हरी-भरी सब्जियां और फल खाते। धीरे-धीरे समय बीतता गया और गधा तंदुरस्त हो गया। रोज भर पेट खाना खाकर अब गधे के बाल चमकने लगे थे और उसकी चाल में भी सुधार हो गया था। एक दिन गधा खूब खाकर मस्त हो गया और जमीन पर लोटने लगा। तभी गीदड़ ने पूछा, “गधे भाई तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न?” तो गधा कहता है, “आज मैं बहुत खुश हूं और मेरा गाना गाने का मन कर रहा है।”
गधे की यह बात सुनकर गीदड़ घबराया और बोला, “न गधे भाई, यह काम भूलकर भी मत करना। भूलो मत हम चोरी कर रहे हैं। कहीं बाग के मालिक ने तुम्हारा बेसुरा गाना सुन लिया और यहां आ गया, तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी। भाई इस गाने-वाने के चक्कर में मत पड़ो।”
गीदड़ की यह बात सुनकर गधा बोला, “तुम क्या जानो गाने के बारे में। हम गधे तो खानदानी गायक हैं। हमारा ढेंचू राग तो लोग बड़े शौक से सुनते हैं। आज मेरा गाने का बहुत मन है, इसलिए मैं तो गाऊंगा।”
गीदड़ समझ जाता है कि गधे को गाने से रोक पाना अब बहुत मुश्किल है। गीदड़ को अपनी गलती का आभास हो जाता है। गीदड़ बोला, “गधे भाई तुम सही कह रहे हो, गाने-वाने के बारे में हम क्या जाने। अब तुम बता रहे हो, तो मुमकिन है कि तुम्हारी सुरीली आवाज सुनकर बाग का मालिक फूल माला लेकर तुम्हें पहनाने जरूर आएगा।” गीदड़ की बात सुनकर गधा खुशी से गद-गद हो जाता है। गधा कहता है, “ठीक है, फिर मैं अपना गाना शुरू करता हूं।”
तभी गीदड़ कहता है, “मैं तुम्हें फूल माला पहना सकूं, इसलिए तुम अपना गाना मेरे जाने के 15 मिनट बाद शुरू करना। इससे मैं तुम्हारा गाना खत्म होने से पहले यहां वापस आ जाऊंगा।”
गीदड़ की यह बात सुनकर गधा और भी ज्यादा फूला नहीं समाता है और कहता है, “जाओ भाई गीदड़ मेरे सम्मान के लिए फूल माला लेकर आओ। मैं तुम्हारे जाने के 15 मिनट बाद ही गाना शुरू करूंगा।” गधे के इतना कहते ही गीदड़ वहां से नौ दो ग्यारह हो जाता है।
गीदड़ के जाने के बाद गधा अपना गाना शुरू करता है। गधे की आवाज सुनते ही बाग का मालिक लाठी लेकर वहां पहुंच जाता है। वहां गधे को देख बाग का मालिक कहता है कि अब समझ आया कि तू ही है, जो मेरे बाग को रोज चर के चला जाता है। आज मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा। इतना कहते ही बाग मालिक लाठी से गधे की खूब जमकर पिटाई करता है। बाग मालिक की पिटाई से गधा अधमरा हो जाता है और बेहोश होकर जमीन पर गिर जाता है।
कहानी से सीख :
संगीतमय गधा कहानी से सीख मिलती है कि अगर कोई हमारी भलाई के लिए कुछ बात समझाता है, तो उसे मान लेना चाहिए। कभी-कभी हालात ऐसे हो जाते हैं कि दूसरों की बात न मानने से हम मुसीबत में पड़ सकते हैं।
11. लालची मिठाई वाला की कहानी - Greedy Sweet Man Story In Hindi
दिनपुर गांव में सोहन नाम का हलवाई रहता था। वह खूब बढ़िया और स्वादिष्ट मिठाइयां बनाने के लिए जाना जाता था। इसी वजह से उसकी दुकान पूरे गांव में मशहूर थी। पूरा गांव उसी की दुकान से मिठाई खरीदता था। वह और उसकी पत्नी मिलकर शुद्ध देसी घी में मिठाई बनाते थे। इससे मिठाइयां काफी अच्छी और स्वादिष्ट बनती थीं। हर रोज शाम होते-होते उसकी सारी मिठाइयां बिक जाती थीं और वह अच्छा मुनाफा भी कमा लेता था।
मिठाइयों से जैसे ही आमदनी बढ़ने लगी, सोहन के मन में और पैसा कमाने का लालच आने लग गया। अपने इसी लालच के चलते उसे एक तरकीब सूझी। वह शहर गया और वहां से एक दो चुम्बक के टुकड़े ले कर आ गया। उस टुकड़े को उसने अपने तराजू के नीचे लगा दिया।
इसके बाद एक नया ग्राहक आया, जिसने सोहन के पास से एक किलो जलेबी खरीदी। इस बार तराजू में चुम्बक लगाने की वजह से सोहन को अधिक मुनाफा हुआ। उसने अपनी इस तरकीब के बारे में अपनी पत्नी को भी बताया, लेकिन उसकी पत्नी को सोहन की यह चालाकी अच्छी नहीं लगी। उसने सोहन को समझाया कि उसे अपने ग्राहकों के साथ इस तरह की धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए, लेकिन सोहन ने अपनी पत्नी की बात बिल्कुल भी नहीं सुनी।
वो हर रोज तराजू के नीचे चुंबक लगाकर अपने ग्राहकों को धोखा देने लगा। इससे उसका मुनाफा बढ़कर कई गुना अधिक हो गया। इससे सोहन को काफी खुशी हुई।
एक दिन सोहन की दुकान पर रवि नाम का एक नया लड़का आया। उसने सोहन से दो किलो जलेबी खरीदी। सोहन ने इसे भी चुम्बक लगे तराजू से तोलकर जलेबी दे दी।
रवि ने जैसे ही जलेबी उठाई, उसे लगा कि जलेबी का वजन दो किलो से कम है। उसने अपना शक दूर करने के लिए सोहन से दोबारा से जलेबी को तोलने के लिए कहा।
रवि की बात सुनकर सोहन चिढ़ गया। उसने कहा, ‘मेरे पास इतना फालतू समय नहीं है कि मैं बार-बार तुम्हारी जलेबी ही तोलता रहूं।’ इतना कहकर उसने रवि को वहां से जाने के लिए कह दिया।
सोहन मिठाई वाले की बात सुनने के बाद रवि जलेबी लेकर वहां से चला गया। वह एक दूसरी दुकान पर गया और वहां बैठे मिठाई वाले से अपनी जलेबी तोलने के लिए कहा। जब दूसरे दुकानदार ने जलेबी तोली, तो जलेबी सिर्फ डेढ़ किलो ही निकली। अब उसका शक यकीन में बदल गया था। उसे पता चल गया कि सोहन मिठाई वाले के तराजू में कुछ गड़बड़ है।
अब उसने तराजू की गड़बड़ को सबके सामने लाने के लिए खुद एक तराजू खरीद लिया और उसे ले जाकर सोहन मिठाई वाले के दुकान के पास ही रख दिया।
फिर रवि अपने सभी गांव के लोगों को वहां पर इकट्ठा करने में लग गया। जैसे ही लोगों की थोड़ी भीड़ बढ़ने लगी, तो उसने गांव के लोगों को कहा कि आज मैं आप सभी लोगों को एक जादू दिखाऊंगा। यह जादू देखने के लिए बस आप लोगों को सोहन मिठाई वाले से खरीदा गया सामान एक बार इस तराजू में तोलना होगा। तब आप लोग देखेंगे कि कैसे सोहन मिठाई वाले के तराजू में तोली गई मिठाइयां इस दूसरे तराजू में अपने आप ही कम हो जाती हैं।
कुछ देर बाद एक-दो लोग मिठाई लेकर रवि के पास पहुंचे, तो उसने ऐसा करके भी दिखाया। इसके बाद सोहन के दुकान से जिसने भी मिठाई खरीदी थी, सभी ने रवि के तराजू में तोलकर देखा, तो सबकी मिठाइयां 250 ग्राम से लेकर आधा किलो तक कम निकली। यह सब देखकर लोगों को काफी हैरानी हुई।
अपनी दुकान के पास ही यह सब होता देख सोहन मिठाई वाला रवि से झगड़ा करने लगा। उसने लोगों को बताया कि रवि यह सब नाटक कर रहा है। अपनी बात को सही साबित करने के लिए रवि सीधे सोहन मिठाई वाले का तराजू लेकर आया और तराजू में लगा चुम्बक निकालकर सबको दिखाने लगा।
यह देखकर गांव वालों को बहुत गुस्सा आया। सबने मिलकर उस लालची मिठाई वाले को खूब मारा। अब उस लालची मिठाई वाले को अपने लालच और उसके कारण की गई गलत हरकतों पर पछतावा हो रहा था। उसने अपने गांव के सभी लोगों से माफी मांगी और वादा भी किया कि भविष्य में वे ऐसी कोई भी जालसाजी नहीं करेगा।
सोहन की इस धोखेबाजी से पूरा गांव नाराज था, इसलिए लोगों ने उसकी दुकान में जाना काफी कम कर दिया। इधर, सोहन के पास पछताने के अलावा कुछ और नहीं बचा, क्योंकि वो पूरे गांव वालों का भरोसा खो चुका था।
कहानी से सीख:
कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। हमेशा ईमानदारी के साथ अपना काम करने से ही इंसान का नाम होता है। लालच के चलते भले ही कुछ समय के लिए अच्छा फायदा हो, लेकिन इससे इज्जत और आत्मसम्मान दोनों कम हो जाते हैं।
12.चुहिया के स्वयंवर की कहानी - Story of Chuhiya's Swayamvar In Hindi
गंगा नदी के तट पर एक धर्मशाला थी। वहां एक गुरु जी रहा करते थे। वह दिनभर तप और ध्यान में लीन होकर अपना जीवन यापन करते थे।
एक दिन जब गुरु जी नदी में नहा रहे थे, उसी समय एक बाज अपने पंजे में एक चुहिया लेकर उड़ा जा रहा था। जब बाज गुरु जी के ऊपर से निकला तो, चुहिया अचानक बाज के पंजे से फिसलकर गुरु जी की अंजुली में आकर गिर गई।
गुरु जी ने सोचा कि अगर उन्होंने चुहिया को ऐसे ही छोड़ दिया, तो बाज उसे खा जाएगा। इसलिए, उन्होंने चुहिया को अकेला नहीं छोड़ा और उसे पास के बरगद के पेड़ के नीचे रख दिया और खुद को शुद्ध करने के लिए फिर से नहाने के लिए नदी में चले गए।
नहाने के बाद गुरु जी ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके चुहिया को एक छोटी लड़की में बदल दिया और अपने साथ आश्रम ले गए। गुरु जी ने आश्रम पहुंचकर सारी बात अपनी पत्नी को बताई और कहा कि हमारी कोई संतान नहीं है, इसलिए इसे ईश्वर का वरदान समझ कर स्वीकार करो और इसका अच्छे से लालन-पालन करो।
फिर उस लड़की ने स्वयं गुरु जी की देखरेख में धर्मशाला में पढ़ना-लिखना शुरू कर दिया। लड़की पढ़ने में बहुत होशियार थी। यह देखकर गुरु जी और उनकी पत्नी को अपनी बेट पर बहुत गर्व होता था।
एक दिन गुरु जी को उनकी पत्नी ने बताया कि उनकी लड़की विवाह योग्य हो गई है। तब गुरु जी ने कहा कि यह विशेष बच्ची एक विशेष पति की हकदार है।
अगली सुबह अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए गुरु जी ने सूर्य देव की प्रार्थना की और पूछा “हे सूर्यदेव, क्या आप मेरी बेटी के साथ विवाह करेंगे?”
यह सुनकर लड़की बाेली “पिताजी, सूर्य देव पूरी दुनिया को रोशन करते हैं, लेकिन वह असहनीय रूप से गर्म और उग्र स्वभाव के हैं। मैं उनसे शादी नहीं कर सकती। कृपया मेरे लिए एक बेहतर पति की तलाश करें।”
गुरु जी ने आश्चर्य से पूछा, “सूर्य देव से बेहतर कौन हो सकता है?”
इस पर सूर्य देव ने सलाह दी, “आप बादलों के राजा से बात कर सकते हैं। वह मुझसे बेहतर हैं, क्योंकि वह मुझे और मेरे प्रकाश को ढक सकते हैं।”
इसके बाद, गुरु जी ने अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए, बादलों के राजा को बुलाया और कहा, “कृपया मेरी बेटी को स्वीकार करें। मैं चाहता हूं कि अगर बेटी की स्वीकृति हो, तो आप उससे शादी करें।”
इस पर बेटी ने कहा, “पिताजी, बादलों का राजा काला, गीला और बहुत ठंडा होता है। मैं उससे शादी नहीं करना चाहती। कृपया मेरे लिए एक बेहतर पति की तलाश करें।”
गुरु जी ने फिर से आश्चर्य में पूछा, “भला बादलों के राजा से भी बेहतर कौन हो सकता है?”
बादलों के राजा ने सलाह दी, “गुरुजी, आप हवाओं के भगवान वायुदेव से बात करें। वह मुझसे बेहतर हैं, क्योंकि वह मुझे कहीं भी उड़ा कर ले जा सकते हैं।”
इसके बाद, गुरु जी ने फिर से अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए, वायु देव को बुलाया और कहा, “कृपया मेरी बेटी के साथ विवाह स्वीकार करें। अगर वह आपको चुनती है तो।”
लेकिन बेटी ने वायुदेव से भी विवाह करने से इनकार कर दिया और कहा, “पिता जी, वायु देव बहुत तेज हैं। वह अपनी दिशा बदलते रहते हैं। मैं उनसे शादी नहीं कर सकती। कृपया मेरे लिए एक बेहतर पति की तलाश करें।”
गुरु जी फिर सोचने लगे, “वायुदेव से भी बेहतर कौन हो सकता है?”
इस पर वायु देव ने सलाह दी, “आप पहाड़ों के राजा से इस विषय में बात कर सकते हैं। वह मुझसे बेहतर है, क्योंकि वह मुझे बहने से रोक सकते हैं।”
इस के बाद गुरु जी ने अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए, पहाड़ों के राजा को बुलाया और कहा, “कृपया मेरी बेटी का हाथ स्वीकार करें। मैं चाहता हूं कि अगर वह आपको पसंद करती है, तो आप उससे शादी करें।”
फिर बेटी ने कहा, “पिता, पहाड़ों के राज बहुत कठोर हैं। वह अचल हैं। मैं उससे शादी नहीं करना चाहती। कृपया मेरे लिए एक बेहतर पति की तलाश करें।”
गुरु जी ने सोचा, “पहाड़ों के राज से भी बेहतर कौन हो सकता है?”
पहाड़ों के राजा ने सलाह दी, “गुरुजी, आप चूहे के राजा से बात करके देखिए। वह मुझसे बेहतर है, क्योंकि वह मुझमें छेद कर सकता है।”
आखिर में गुरु जी ने अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए चूहे के राजा को बुलाया और कहा, “कृपया मेरी बेटी का हाथ स्वीकार करें। मैं चाहता हूं कि आप उससे शादी करें, अगर वह आपसे शादी करना चाहे।”
जब बेटी चूहे के राजा से मिली, तो वह खुश होकर शादी के लिए राजी हो गई।
गुरु ने अपनी बेटी को एक सुंदर चुहिया के रूप में वापस बदल दिया। इस प्रकार गुरु जी की बेटी चुहिया का स्वयंवर सम्पन्न हुआ।
कहानी से सीख:
जो जन्म से जैसा होता है, उसका स्वाभाव कभी नहीं बदल सकता।
13.गौरैया और बंदर की कहानी - Sparrow and Monkey Story In Hindi
एक बार की बात है, एक जंगल के किसी घने पेड़ पर एक गौरैया का जोड़ा रहता था। वो उस पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर गुजर-बसर करते थे। दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन बीता रहे थे। फिर आया सर्दियों का मौसम, इस बार बहुत ही कड़ाके की ठंड पड़ने लगी। ठंड से बचने के लिए एक दिन कुछ बंदर उस पेड़ के नीचे ठिठुरते हुए पहुंचे। तेज ठंडी हवाओं से सभी बंदर कांप रहे थे और बहुत ही परेशान थे। पेड़ के नीचे बैठने के बाद वो आपस में बात करने लगे कि काश कहीं से आग सेंकने को मिल जाती तो ठंड दूर हो जाती। उसी बीच एक बंदर की नजर पास पड़ी सूखी पत्तियों पर पड़ी।
उसने दूसरे बंदरों से कहा, “चलो इन सूखी पत्तियों को इकट्ठा करके जलाते हैं।” उन बंदरों ने पत्तियों को एक जगह इकट्ठा किया और उन्हें जलाने का उपाय करने लगे। ये सब पेड़ पर बैठी गौरैया देख रही थी। ये सब देखकर उससे रहा नहीं गया और वो बंदरों से बोल पड़ी, “तुम लोग कौन हो?, देखने में तो तुम आदमियों की तरह लग रहे हो, हाथ-पैर भी हैं, तुम अपना घर बनाकर क्यों नहीं रहते?”
गौरेया की बात सुनकर ठंड से कांप रहे बंदर चिढ़ गए और बोले, “तुम अपना काम करो, हमारे काम में पड़ने की जरूरत नहीं है।” इतना कहने के बाद वो फिर आग जलाने के बारे में सोचने लगे और अलग-अलग तरीके अपनाने लगे। इतने में बंदरों की नजर एक जुगनू पर पड़ी। वो चिल्लाने लगा, “देखो ऊपर हवा में चिंगारी है, इसे पकड़कर आग जलाते हैं।” यह सुनते ही सारे बंदर उसे पकड़ने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने लगे। ये देख चिड़िया फिर बोल पड़ी, “यह जुगनू है, इससे आग नहीं सुलगेगी।” तुम लोग दो पत्थरों को घिसकर आग जला सकते हो।”
बंदरों ने चिड़िया की बात को अनसुना कर दिया। कई कोशिश के बाद उन्होंने जुगनू को पकड़ लिया और फिर उससे आग जलाने की कोशिश करने लगे, पर वो इस काम में कामयाब नहीं हो पाए और जुगनू उड़ गया। इससे बंदर निराश हो गए। इतने में फिर से गौरेया बोल उठी, “आप लोग मेरी बात मानिए, पत्थर रगड़कर आप आग जला सकते हैं।” इतने में एक गुस्साए हुए बंदर से रहा न गया और उसने पेड़ पर चढ़कर गौरेया के घोसले को तोड़ दिया। यह देख चिड़िया दुखी हो गई और डर कर रोने लगी। इसके बाद वो उस पेड़ से उड़कर कहीं और चली गई।
कहानी से सीख:
जरूरी नहीं कि हर किसी को ज्ञान या उपदेश दिया जाए। उपदेश उसी को दिया जाना चाहिए जो समझदार हो और बातों को समझे। बेवकूफ को उपदेश देने से खुद का ही बुरा हो सकता है।
14.खरगोश और चूहा की कहानी- Rabbit And Rat Story In Hindi
बहुत समय पहले की बात है किसी जंगल में एक खरगोश अपने परिवार के साथ रहता था। खरगोश जहां रहता था, वहां आसपास बड़े जानवरों की संख्या ज्यादा थी। खरगोश और उसका परिवार हमेशा इस बात से डरे हुए रहते थे कि कोई जानवर आकर उन्हें नुकसान न पहुंचा दे। उन्हें अपने घर के आस-पास जरा भी हलचल सुनाई देती थी, तो वो झट से अपने बिल में छुप जाया करते थे। दूसरे जानवरों का डर उनपर इस कदर हावी था कि उनकी आहट भर सुनकर उनमें से कुछ खरगोशों की डर से मौत हो गई। यह सब देखकर खरगोश बड़ा परेशान रहता था।
एक दिन घोड़ों का दल उनके घर के पास से गुजरा। घोड़ों की आवाज सुनकर सभी सहम गए और हमेशा की तरह अपने बिल में छुप गए। डर से पूरा दिन कोई बिल से बाहर खाने की तालाश में भी नहीं गया। अपने परिवार को इस हालत में देखकर खरगोश बेहद दुखी हुआ। उसने भगवान को कोसते हुए कहा कि हे भगवान आपने हमें इतना कमजोर क्यों बनाया है। इस तरह जीने का क्या फायदा, जिसमें हर दिन अपनी जान को लेकर डर और भय बना रहता है। तभी सारे खरगोशों ने मिलकर फैसला किया कि हर समय डर और भय के चलते बिल में छुपकर रहने से अच्छा होगा कि सब मिलकर एक साथ अपना जीवन त्याग देते हैं।
सभी खरगोश इकट्ठे होकर आत्महत्या करने के लिए नदी की ओर निकल गए। नियत समय पर खरगोश और उसका पूरा परिवार नदी के पास पहुंचे। नदी के पास कई सारे चूहों के बिल थे। जब चूहों ने खरगोशों को आते देखा तो वो सभी डर गए और इधर-उधर भागने लगे। कुछ चूहे बिल में घुस गए, तो कुछ नदी में गिरकर मर गए। चारों तरफ अफरातफरी का माहौल था।
ये पूरा वाकया देखकर खरगोश दंग रह गए। उन्हें इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि उन्हें देखकर भी किसी में दहशत हो सकती है। अब तक तो वह खुद को ही सबसे कमजोर प्राणी समझते थे और भगवान को दोष देते थे।
अब खरगोशों की समझ में आ गया था कि भगवान ने दुनिया में अलग-अलग खासियत के साथ जीव-जन्तु बनाए हैं। जो जैसा है, उसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए। अगर किसी में कमी है, तो उसमें कुछ गुण भी हैं। हर किसी में एक जैसे गुण नहीं हो सकते। ये समझने के बाद खरगोश और उसका परिवार घर वापस लौट गए।
कहानी से सीख:
प्रकृति ने सभी को शक्तिशाली बनाया है। बस फर्क इतना है कि सभी अलग-अलग क्षेत्र में अव्वल होते हैं। इसलिए हमेशा कमजोरी से भागने की जगह उसे ही अपनी ताकत बनाएं।
15.गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी - The Story of the Sparrow and The Proud Elephant In Hindi
एक पेड़ पर एक चिड़िया अपने पति के साथ रहा करती थी। चिड़िया सारा दिन अपने घोंसले में बैठकर अपने अंडे सेती रहती थी और उसका पति दोनों के लिए खाने का इंतजाम करता था। वो दोनों बहुत खुश थे और अंडे से बच्चों के निकलने का इंतजार कर रहे थे।
एक दिन चिड़िया का पति दाने की तलाश में अपने घोंसलें से दूर गया हुआ था और चिड़िया अपने अंडों की देखभाल कर रही थी। तभी वहां एक हाथी मदमस्त चाल चलते हुए आया और पेड़ की शाखाओं को तोड़ने लगा। हाथी ने चिड़िया का घोंसला गिरा दिया, जिससे उसके सारे अंडे फूट गए। चिड़िया को बहुत दुख हुआ। उसे हाथी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। जब चिड़िया का पति वापस आया, तो उसने देखा कि चिड़िया हाथी द्वारा तोड़ी गई शाखा पर बैठी रो रही है। चिड़िया ने पूरी घटना अपने पति को बताई, जिसे सुनकर उसके पति को भी बहुत दुख हुआ। उन दोनों ने घमंडी हाथी को सबक सिखाने का निर्णय लिया।
वो दोनों अपने एक दोस्त कठफोड़वा के पास गए और उसे सारी बात बताई। कठफोड़वा बोला कि हाथी को सबक मिलना ही चाहिए। कठफोड़वा के दो दोस्त और थे, जिनमें से एक मधुमक्खी थी और एक मेंढक था। उन तीनों ने मिलकर हाथी को सबक सिखाने की योजना बनाई, जो चिड़िया को बहुत पसंद आई।
अपनी योजना के तहत सबसे पहले मधुमक्खी ने हाथी के कान में गुनगुनाना शुरू किया। हाथी जब मधुमक्खी की मधुर आवाज में खो गया, तो कठफोड़वे ने आकर हाथी की दोनों आखें फोड़ दी। हाथी दर्द के मारे चिल्लाने लगा और तभी मेंढक अपने परिवार के साथ आया और एक दलदल के पास टर्रटराने लगा। हाथी को लगा कि यहां पास में कोई तालाब होगा। वह पानी पीना चाहता था, इसलिए दलदल में जाकर फंसा। इस तरह चिड़िया ने मधुमक्खी, कठफोड़वा और मेंढक की मदद से हाथी से बदला ले लिया।
कहानी से सीख :
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता और विवेक का उपयोग करके बड़ी से बड़ी मुसीबत को हराया जा सकता है।
16.खटमल और जूं की कहानी - Bedbug and Louse Story In Hindi
यह कहानी कई वर्ष पुरानी है। उस समय दक्षिण भारत में एक राजा राज किया करता था। राजा के बिस्तर में मंदरीसर्पिणी नाम की एक जूं रहा करती थी, लेकिन इस बारे में राजा को कोई जानकारी नहीं थी। हर रात जब राजा गहरी नींद में सो जाता,तो जूं अपने घर से बाहर निकलती, बड़े चाव से पेट भरकर राजा का खून चूसती और दोबारा जाकर छिप जाती।
एक दिन न जाने कहां से उस राजा के बिस्तर में अग्निमुख नामक एक खटमल भी घुस आया। जब जूं ने उसे देखा, तो उसे बहुत गुस्सा आया कि उसके इलाके में एक खटमल घुस आया है। जूं उसके पास गई और उससे तुरंत वापस चले जाने को कहा। इस पर खटमल बोला, “अरे जूं बहना, इस तरह का व्यवहार तो कोई अपने दुश्मन के साथ भी नहीं करता। मैं बहुत दूर से आया हूं और सिर्फ एक रात तुम्हारे घर रुक कर आराम करना चाहता हूं। कृपया मुझे यहां रुकने दो।”
खटमल की बातें सुनकर जूं का दिल पिघल गया। उसने कहा, “ठीक है, तुम यहां रुक सकते हो, लेकिन तुम्हारे कारण राजा को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। तुम राजा के आसपास भी नहीं जाओगे।”
“जूं बहन, मैं बहुत दूर से आया हूं और बहुत भूखा हूं। वैसे भी, हर रोज कहां राजा का मीठा खून पीने का मौका मिलता है। कृपया मुझे आज रात राजा के खून का स्वाद चखने का मौका दे दो,” खटमल ने विनती करते हुए कहा। जूं, खटमल की बातों में आ गई और उसने उसे राजा का खून चूसने की इजाजत दे दी। “ठीक है, तुम राजा के खून का भोजन कर सकते हो, लेकिन उससे पहले तुम्हें राजा के गहरी नींद में सो जाने का इंतजार करना होगा। जब तक राजा पूरी तरह सो नहीं जाता, तब तक तुम उसे नहीं काट सकते,” जूं ने कहा। इस पर खटमल ने हां कर दिया और दोनों रात होने का इंतजार करने लगे।
रात होते ही राजा अपने कमरे में आया और सोने की तैयारी करने लगा। राजा का शरीर बहुत तंदुरुस्त था और उसकी तोंद बहुत मोटी थी। यह देख कर खटमल के मुंह में पानी आ गया। जैसे ही राजा बिस्तर पर आकर लेटा, खटमल ने न आव देखा न ताव और सीधे जाकर राजा की मोटी तोंद पर जोर से काट लिया और फिर दौड़ कर पलंग के नीचे छिप गया। राजा दर्द के मारे चीख उठा और तुरंत अपने सिपाहियों को कमरे में बुला लिया।
राजा ने सिपाहियों को आदेश दिया, “सिपाहियों, इस बिस्तर में जरूर कोई खटमल या जूं है। उसे तुरंत ढूंढो और मार डालो।” राजा के सिपाहियों ने बिस्तर पर ढूंढना शुरू किया, तो उन्हें बिस्तर में छिपी जूं मिल गई। उन्होंने तुरंत उस जूं को मार डाला और खटमल बच निकला।
इस प्रकार खटमल की गलती के कारण बेचारी जूं मारी गई।
कहानी से सीख:
दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें आंखें बंद करके किसी
अजनबी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
17.नीले सियार की कहानी -Story of the Blue Jackal Story In Hindi
एक बार की बात है, जंगल में बहुत तेज हवा चल रही थी। तेज हवा से बचने के लिए एक सियार पेड़ के नीचे खड़ा था और तभी उस पर पेड़ की भारी शाखा आकर गिर गई। सियार के सिर में गहरी चोट लगी और वो डर कर अपनी मांद की ओर भाग गया। उस चोट का असर कई दिनों तक रहा और शिकार पर नहीं जा सका। खाना न मिलने से सियार दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था।
एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी और उसे अचानक एक हिरन दिखाई दिया। सियार उसका शिकार करने के लिए बहुत दूर तक हिरन के पीछे दौड़ा, लेकिन वह बहुत जल्दी थक गया और हिरन को नहीं मार पाया। सियार पूरे दिन भूखा-प्यासा जंगल में भटकता रहा, लेकिन उसे कोई मरा जानवर भी नहीं मिला, जिससे वह अपना पेट भर सके। जंगल से निराश होकर सियार ने गांव की ओर जाने की ठानी। सियार को उम्मीद थी कि गांव में उसे कोई बकरी या मुर्गी का बच्चा मिल जाएगा, जिसे खाकर वह अपनी रात काट लेगा।
गांव में सियार अपना शिकार ढूंढ रहा था, लेकिन तभी उसकी नजर कुत्तों के झुंड पर पड़ी, जो उसकी ओर आ रहे थे। सियार को कुछ समझ में नहीं आया और वो धोबियों की बस्ती की ओर दौड़ने लगा। कुत्ते लगातार भौंक रहे थे और सियार का पीछा कर रहे थे। सियार को जब कुछ समझ नहीं आया, तो वह धोबी के उस ड्रम में जाकर छुप गया, जिसमें नील घुला हुआ था। सियार को न पाकर कुत्तों का झुंड वहां से चला गया। बेचारा सियार पूरी रात उस नील के ड्रम में छुपा रहा। सुबह-सवेरे जब वह ड्रम से बाहर आया, तो उसने देखा कि उसका पूरा शरीर नीला हो गया है। सियार बहुत चालाक था, अपना रंग देखकर उसके दिमाग में एक आइडिया आया और वह वापस जंगल में आ गया।
जंगल में पहुंच कर उसने ऐलान किया कि वह भगवान का संदेश देना चाहता है, इसलिए सारे जानवर एक जगह इकट्ठा हो जाएं। सारे जानवर सियार की बात सुनने के लिए एक बड़े पेड़ के नीचे एकत्रित हो गए। सियार ने जानवरों की सभा में कहा “क्या किसी ने कभी नीले रंग का कोई जानवर देखा है? मुझे ये अनोखा रंग भगवान ने दिया है और कहा है कि तुम जंगल पर राज करो। भगवान ने मुझसे कहा है कि जंगल के जानवरों का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।” सभी जानवर सियार की बात मान गए। सब एक स्वर में बोले, “कहिए महाराज क्या आदेश है?” सियार ने कहा, “सारे सियार जंगल से चले जाएं, क्योंकि भगवान ने कहा है कि सियारों की वजह से इस जंगल पर बहुत बड़ी आपदा आने वाली है।” नीले सियार की बात को भगवान का आदेश मानकर सारे जानवर जंगल के सियारों को जंगल से बाहर खदेड़ आए। ऐसा नीले सियार ने इसलिए किया, क्योंकि अगर सियार अगर जंगल में रहते, तो उसकी पोल खुल सकती थी।
अब नीला सियार जंगल का राजा बन चुका था। मोर उसे पंखा झलते और बंदर उसके पैर दबाते। सियार का मन किसी जानवर को खाने का करता, तो वह उसकी बलि मांग लेता। अब सियार कहीं नहीं जाता था, हमेशा अपनी शाही मांद में बैठा रहता और सारे जानवर उसकी सेवा में लगे रहते।
एक दिन चांदनी रात में सियार को प्यास लगी। वह मांद से बाहर आया, तो उसे सियारों की आवाज सुनाई दी, जो दूर कहीं बोल रहे थे। रात को सियार हू-हू की आवाज करते हैं, क्योंकि ये उनकी आदत होती है। नीला सियार भी अपने आप को रोक न सका। उसने भी जोर-जोर से बोलना शुरू कर दिया। शोर सुनकर आस-पास के सभी जानवर जाग गए। उन्होंने नीले सियार को हू-हू की आवाज निकालते हुए देखा, तब उन्हें पता चला कि ये एक सियार है और इसने हमें बेवकूफ बनाया है। अब नीले सियार की पोल खुल चुकी थी। यह पता चलते ही सारे जानवर उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला।
कहानी से सीख:
हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए, एक न एक दिन पोल खुल जाती है। किसी को भी ज्यादा दिनों तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है।
18.बंदर और लकड़ी का खूंटा -Monkey and Wooden Peg In Hindi
एक समय की बात है, जब शहर से थोड़ी दूर में एक मंदिर बनाया जा रहा था। उस मंदिर के निर्माण में लकड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा था। लकड़ियों के काम के लिए शहर से कुछ मजदूर आए हुए थे। एक दिन मजदूर लकड़ी चीर रहे थे। सारे मजदूर रोज दोपहर का खाना खाने के लिए शहर जाया करते थे। उस दौरान एक घंटे तक वहां कोई भी नहीं रहता था। एक दिन दोपहर के खाने का समय हुआ, तो सभी जाने लगे। एक मजदूर ने लकड़ी आधी ही चीर थी। इसलिए, वह बीच में लकड़ी का खूंटा फंसा देता है, ताकि दोबारा चीरने के लिए आरी फंसाने में आसानी हो।
उनके जाने के कुछ समय बाद बंदरों का एक समूह वहां आ जाता है। उस समूह में एक शरारती बंदर था, जो वहां पड़ी चीजों को उल्टा-पुल्टा करने लगा। बंदरों के सरदार ने सभी को वहां रखी चीजों को छेड़ने से मना किया। कुछ समय बाद सारे बंदर पेड़ों की तरफ वापस जाने लगे, तो वह शरारती बंदर सबसे बचकर पीछे रह जाता है और उधम मचाने लगता है। शरारत करते-करते उसकी नजर उस अधचिरे लकड़ी पर पड़ती है, जिस पर मजदूर ने लकड़ी का खूंटा लगाया था। खूंटे को देखकर बंदर सोचने लगा कि उस लकड़ी को वहां पर क्यों लगाया है, उसे निकालने पर क्या होगा। फिर वह उस खूंटे को बाहर निकालने के लिए खींचने लगता है।
बंदर के अधिक जोर लगाने पर वह खूंटा हिलने और खिसकने लगता है, जिसे देखकर बंदर खुश होता है और जोर लगाकर उस खूंटे को सरकाने लगता है। वह खूंटे को निकालने में इतना मगन हो जाता है कि उसे पता ही नहीं चलता कि कब उसकी पूंछ दोनों पाटों के बीच में आ गई। बंदर पूरी ताकत के साथ खूंटे को खींचकर बाहर निकाल देता है। खूंटा निकलते ही लकड़ी के दोनों भाग चिपक जाते हैं और उसकी पूंछ बीच में फंस जाती है। पूंछ के फंसने पर बंदर दर्द के मारे चिल्लाने लगता है और तभी मजदूर भी वहां पहुंच जाते हैं। उन्हें देखकर बंदर भागने के लिए जोर लगाता है, तो पूंछ टूट जाती है। वह चीखते हुए टूटी पूछ लेकर भागता हुआ अपने झुंड के पास पहुंच जाता है। वहां पहुंचते ही सभी बंदर उसकी टूटी हुई पूंछ देखकर हंसने लगते हैं।
कहानी से सीख :
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें न तो दूसरों की चीजों के साथ छेड़छाड़ करनी चाहिए और न ही उनके काम में दखलंदाजी करनी चाहिए। ऐसा करने से हमें ही नुकसान होता है।
19.सियार और जादुई ढोल -Jackal and Magic Drum In Hindi
एक समय की बात है, जब एक जंगल के पास दो राजाओं के बीच युद्ध हुआ। उस युद्ध में एक की जीत और दूसरे की हार हुई। युद्ध खत्म होने के एक दिन बाद तेज आंधी चली, जिस कारण युद्ध के दौरान बजाया जाने वाला ढोल लुड़क कर जंगल में चला जाता है और एक पेड़ के पास जाकर अटक जाता है। जब भी तेज हवा चलती और पेड़ की टहनी ढोल पर पड़ती, तो ढमाढम-ढमाढम की आवाज आने लगती थी।
उसी जंगल में एक सियार खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था और अचानक उसकी नजर गाजर खा रहे खरगोश पर पड़ती है। सियार उसे शिकार बनाने के लिए सावधानी से आगे बढ़ता है। जब वह खरगोश पर झपटा मारता है, तो खरगोश उसके मुंह में गाजर को फंसाकर भाग जाता है। किसी तरह से सियार गाजर को मुंह से बाहर निकालकर आगे बढ़ता है, तो उसे ढोल की तेज आवाज सुनाई देती है। वह ढोल की आवाज सुनकर घबरा जाता है और सोचने लगता है कि उसने पहले कभी किसी जानवर की ऐसी आवाज नहीं सुनी। जहां से ढोल की आवाज आ रही थी, सियार उस ओर जाता है और यह जानने की कोशिश करता है कि जानवर उड़ने वाला है या चलने वाला।
फिर वह ढोल के पास जाता है और उस पर हमला करने के लिए कूदता है, तो ढम की आवाज आती है, जिसे सुनकर सियार छलांग लगा कर उतर जाता है और पेड़ के पीछे छुपकर देखने लगता है। कुछ मिनट बाद किसी तरह की प्रतिक्रिया न होने पर वह फिर से ढोल पर हमला करता है और फिर से ढम की आवाज आती है और वह फिर से ढोल से कूदकर भागने लगता है, लेकिन इस बार वह वहीं पर रुककर मुड़कर देखता है। ढोल में किसी भी तरह की हलचल न होने पर वह समझ जाता है कि यह कोई जानवर नहीं है।
फिर वह ढोल पर कूद-कूद कर ढोल को बजाने लगता है। इससे ढोल हिलने लगता है और लुड़कने भी लगता है, जिससे सियार ढोल से गिर जाता है और ढोल बीच में से फट जाता है। ढोल के फटने पर उसमें से विभिन्न तरह के स्वादिष्ट भोजन निकलते हैं, जिसे खाकर सियार अपनी भूख को शांत करता है।
कहानी से सीख:
सियार और ढोल के कहानी से यह सीख मिलती है कि हर किसी चीज का एक निर्धारित समय होता है। जो हमें चाहिए होता है, वो हमें तय समय पर मिल ही जाता है।
20.बोलने वाली गुफा की कहानी-The Talking Cave Story In Hindi
बहुत पुरानी बात है, एक घने जंगल में बड़ा-सा शेर रहता था। उससे जंगल के सभी जानवर थर-थर कांपते थे। वह हर रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और अपना पेट भरता था।
एक दिन वह पूरा दिन जंगल में भटकता रहा, लेकिन उसे एक भी शिकार नहीं मिला। भटकते-भटकते शाम हो गई और भूख से उसकी हालत खराब हो चुकी थी। तभी उस शेर को एक गुफा दिखी। शेर ने सोचा कि क्यों न इस गुफा में बैठकर इसके मालिक का इंतजार किया जाए और जैसे ही वो आएगा, तो उसे मारकर वही अपनी भूख मिटा लेगा। यह सोचते ही शेर दौड़कर उस गुफा के अंदर जाकर बैठ गया।
वह गुफा एक सियार की थी, जो दोपहर में बाहर गया था। जब वह रात को अपनी गुफा में लौट रहा था, तो उसने गुफा के बाहर शेर के पंजों के निशान देखे। यह देखकर वह सतर्क हो गया। उसने जब ध्यान से निशानों को देखा, तो उसे समझ आया कि पंजे के निशान गुफा के अंदर जाने के हैं, लेकिन बाहर आने के नहीं हैं। अब उसे इस बात का विश्वास हो गया कि शेर गुफा के अंदर ही बैठा हुआ है।
फिर भी इस बात की पुष्टि करने के लिए सियार ने एक तरकीब निकाली। उसने गुफा के बाहर से ही आवाज लगाई, “अरी ओ गुफा! क्या बात है, आज तुमने मुझे आवाज नहीं लगाई। रोज तुम पुकारकर बुलाती हो, लेकिन आज बड़ी चुप हो। ऐसा क्या हुआ है?”
अंदर बैठे शेर ने सोचा, “हो सकता है यह गुफा रोज आवाज लगाकर इस सियार को बुलाती हो, लेकिन आज मेरे वजह से बोल नहीं रही है। कोई बात नहीं, आज मैं ही इसे पुकारता हूं।” यह सोचकर शेर ने जोर से आवाज लगाई, “आ जाओ मेरे प्रिय मित्र सियार। अंदर आ जाओ।”
इस आवाज को सुनते ही सियार को पता चल गया कि शेर अंदर ही बैठा है। वो तेजी से अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया।
कहानी से सीख :
मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी बुद्धि से काम लिया जाए, तो उसका हल निकल सकता है।
21.शेर चूहा और बिल्ली की कहानी - Lion Cat And Mouse Story In Hindi
एक समय की बात है। अर्बुद शिखर नामक पर्वत की गुफा में दुर्दांत नाम का एक शेर रहता था। वह बड़ा ही खूंखार था। वह हर दिन अपनी गुफा से केवल शिकार करने के लिए बाहर निकलता था और पेट भरने के बाद वापस गुफा में जाकर सो जाता था। एक दिन न जाने कहां से उसकी गुफा में एक चूहा आ गया और वह भी वहीं एक बिल बनाकर रहने लगा।
एक रोज जब शेर गुफा में सो रहा था, तभी चूहा अपने बिल से बाहर निकला और उसके बालों को कुतर कर वापस बिल में चला गया। शेर की जब नींद खुली तो उसने देखा कि उसके बाल कुतरे हुए थे। वह गुस्से से आगबबूला हो गया। उसने चूहे को कई बार पकड़कर उसे मारने का प्रयास भी किया, लेकिन चूहा था कि हाथ ही नहीं आता था। हर बार वह भागकर अपने बिल में छिप जाता था।
अंत में शेर को एक युक्ति सूझी। उसने सोचा कि क्यों न चूहे को मारने के लिए इसका परम शत्रु लाया जाए। वह जंगल गया और बहला-फुसलाकर एक बिल्ली को अपनी गुफा में लेकर आया। इसके बाद से जब भी शेर सोता या आराम करता था, बिल्ली पहरेदार की तरह शेर की निगरानी करती थी। वहीं, शेर भी हर दिन बिल्ली के खाने के लिए ताजे-ताजे मांस लाता था। इससे वह बिल्ली कुछ ही दिनों में बहुत मोटी-ताजी हो गई थी।
दूसरी तरफ, बिल्ली की डर की वजह से चूहा अपने बिल में ही दुबका रहता था। वह खाने-पीने के लिए भी बिल से बाहर नहीं निकलता था। इस वजह से वह काफी कमजोर भी हो गया था। एक दिन भूख-प्यास से व्याकुल होकर चूहा अपने बिल से बाहर निकला। उसने देखा कि शेर अपनी गुफा में आराम फरमा रहा था और बिल्ली ताजे-ताजे मांस खा रही थी।
लेकिन, बिल्ली भी बहुत चालाक थी। चूहा जैसे ही शेर के पास उसके बाल कुतरने पहुंचा, बिल्ली ने तुरंत उस पर झपट्टा मारा और उसे निगल गई। वह बहुत खुश थी कि जब वह शेर को यह बताएगी कि चूहे से अब परेशान होने की जरूरत नहीं है, तो शेर बहुत खुश हो जाएगा और उसे ढेर सारे ताजे मांस लाकर देगा।
जब शेर अपनी नींद से जागा, तो बिल्ली ने उसे बताया कि उसने चूहे को मार दिया है। बिल्ली की बात सुनकर शेर बहुत खुश हुआ। अब उसकी परेशानी दूर हो गई थी, इसलिए वह बिल्ली अब उसके किसी काम की नहीं थी। उसी दिन से शेर ने बिल्ली के लिए मांस लाना बंद कर दिया।
इसके बाद भूखी-प्यासी बिल्ली कमजोर होने लगी थी। उसे समझ आ गया था कि शेर उसे मांस सिर्फ चूहे की वजह से देता था। अब चूहा नहीं है, तो उसे उसकी कोई जरूरत नहीं है। फिर वह बिल्ली उस गुफा को छोड़कर वहां से चली गई।
कहानी से सीख:
शेर, चूहे और बिल्ली की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपना काम निकल जाने के बाद, हर कोई पराये की तरह व्यवहार करने लगते हैं। इसलिए, कभी किसी के अधिक मोह में न पड़ें।ज
तो दोस्तों ये थी कुछ कहानियाँ अनोखी पंचतंत्र की कहानियां हिंदी में With Moral Value के साथ मै उम्मीद करतीं हूँ की आप लोगो को जरुर पसंद आयेंगी| अगर आपको पसंद आये तो Please अपने Friends के साथ जरुर शेयर करें|
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